यूनाइटेड नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग के अनुसार हर साल अमेरिका में रोज 22 लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट का इंतजार करते हुए अपनी जान गवां बैठते है।
हाल ही में बायोटेक कंपनी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रिसर्च किया है जो कि रोगियों को नया जीवन दे सकता है। वैज्ञानिकों ने सुअर अंगों को मनुष्यों में ट्रांसप्लांट करने के लिए पर्याप्त सुरक्षित बनाने की कोशिश की है, जिनके कारण जीन-संपादन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
Reuters के मुताबिक सीआरआईएसपीआर नामक एक जीन-एडिटिंग टूल का इस्तेमाल कर शोधकर्ताओं ने सूअरों के डीएनए को एडिट किया। इससे पहले वैज्ञानिकों ने अंगों में से हानिकारक वायरस को हटा दिया था।
जर्नल साइंस में प्रकाशित अध्ययन के लेखकों के मुताबिक, सुअर रेट्रोवायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों में सुअर के अंगों का ट्रांसप्लांट के लिए मनुष्यों में प्रवाहित करने में मदद मिल सकती है।
सूअरों से ट्रांसप्लान किए गए अंग उन मरीजों के लिए जान बचा सकने वाला एक वैकल्पिक रास्ता बन सकते हैं, जिनके अंग खराब हो जाते हैं। इंसान के अंगों की कमी होने के चलते वैज्ञानिकों ने खोज की की कि क्या जानवरों में इस तरह के अंग विकसित कर इस अंतर को कम किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक सूअर के भ्रूण में इंसान की स्टेम सेल डालने पर इंसानी अंग विकसित होने लगता है।
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इससे पहले किए गए अध्ययन में बताया गया था कि यदि आप सुअर कोशिकाओं और मानव कोशिकाओं को लेते हैं और उन्हें एक साथ रख देते हैं, तो वायरस मानव कोशिकाओं में जाएंगे।
डेविड एगस ने कहा। 'सूअरों के अंग मानव अंगों के आकार के समान होते हैं, इसलिए यह ट्रांसप्लांट के लिए बिल्कुल सही है।' मानव हृदय वाल्व रिप्लेसमेंट में सुअर वाल्व का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उन्हें फार्मलाडिहाइड और फिक्स्ड में रखा जाता है।
वैज्ञानिक इससे पहले इंसानों में चिंपांज़ी के अंग ट्रांसप्लांट पर अध्ययन कर रहे थे लेकिन अब वे सूअरों पर कर रहे है।
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HIGHLIGHTS
- सूअरों के अंग मानव अंगों के आकार के समान होते हैं
- मानव हृदय वाल्व रिप्लेसमेंट में सुअर वाल्व का इस्तेमाल किया जाता है
Source : News Nation Bureau