योग बहुत फायदेमंद होता है. योग हर बीमारी का और हर मानसिक तनाव का मरहम है. हालांकि हर दिन कोई न कोई योगासन हम आपको अपनी सेहत और स्वस्थ रहने के लिए बताते रहते हैं. वहीं आज आपको बताते हैं कि दुनिया के पहले योग गुरु के बारें में. दुनिया के सबसे प्रभावशाली योग गुरुओं में से एक बीकेएस अंयगर का पुणे में सांस की तकलीफ और किडनी की लम्बे समय से चल रही बीमारी के वजह से उनका निधन हो गया. बता दें कि उन्हें सांस लेने में हो रही तकलीफ के चलते पिछले गुरुवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रविवार को उन्हें डायलिसिस पर रखा गया था. अयंगर को 1991 में पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण और 2014 में पद्मविभूषण से नवाजा गया था. दुनिया इन्हे 'गुरुजी' के नाम से जानती है.
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कौन थे बीकेएस अंयगर ?
बीकेएस अंयगर का जन्म 14 दिसंबर, 1918 को वेल्लूर के एक गरीब परिवार में हुआ था. वे अपने माता-पिता की 11वीं संतान थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक इंटरव्यू में खुद अयंगर ने स्वीकार किया था कि वह बचपन में बेहद कमजोर थे, पतले दुबले से और अक्सर बीमार रहते थे. यही नहीं बचपन में उन्हें टीबी, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से जूझना पड़ा था. इन बीमारियों से बचने के लिए डॉक्टरों ने उन्हें योग करने को कहा.
बेल्जियम की महारानी को सिखाया योग
- 1950 के दशक के आखिरी वर्षों में उन्होंने बेल्जियम की क्वीन मदर, क्वीन एलिजाबेथ, को अस्सी से ज्यादा की उम्र में शीर्षासन सिखाया.
- इस कामयाबी से महारानी इतनी खुश हुईं कि उन्होंने अयंगर को अपने हाथों से गढ़ी एक मूर्ति भेंट की.
90 की उम्र में करते थे योगासन
बीकेएस अयंगर 90 साल की उम्र में भी योग करते थे. वो करीब 3 घंटे रोज़ योगासन किया करते थे. वह 200 से ज्यादा क्लासिकल योगासन और 14 प्रकार के प्राणायाम कर लेते थे. उन्होंने विकलांगों के लिए विशेष योग मुद्रा भी तैयार की थी. बीकेएस अयंग ने 78 देशों में जाकर वहां के लोगों को योग की शिक्षा दी. चीन समेत पूरे विश्व में उनके 30 हजार से ज्यादा शिष्य हैं और पूरे विश्व में 20 हजार सर्टिफाइड योगा टीचर उन्हें अपना गुरु मानते हैं.
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आइये जानते हैं उनके कुछ उपयोगी विचार योग पर जो आपको एक सेहत मंद और स्वस्थ जिंदगी जीने में मदद करेंगे.
-योग हमें उन चीजों को ठीक करना सिखाता है जिसे सहा नहीं जा सकता और उन चीजों को सहना सिखाता है जिन्हे ठीक नहीं किया जा सकता.
-जब आप सांस लेते हैं, आप भगवान से शक्ति ले रहे होते हैं. जब आप सांस छोड़ते हैं तो ये उस सेवा को दर्शाता है जो आप दुनिया को दे रहे हैं.
-बदलाव यदि स्थिर न किया जा सके तो वो निराशा की ओर ले जाता है. परिवर्तन स्थिर किया हुआ बदलाव है, और इसे अभ्यास से प्राप्त किया जाता है.
-अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने पर ध्यान दीजिये. ये रीढ़ की हड्डी का काम है कि वो मस्तिष्क को सतर्क रखे.
-जीवन का मतलब जीना है. समस्याएं हेमशा वहां होंगी. जब वे उठें उन्हें योग के द्वारा पार करो –क्रम मत तोड़ो.