संस्कृत शब्द योग का अर्थ है संगठन या संगम। यह तन और मन को जोड़कर नियमित चुनौतियों को समुचित अनुभव में बदल देता है।
योग में शरीर को खोलने, गतिविधियां, सांस प्रणालियां और चेतनता का संगम है, जो दिल के रोगियों को काफी लाभ पहुंचाता है। लगातार नियमित रूप से योग अभ्यास संपूर्ण सेहत में सुधार लाने में मदद करता है। इसे रोकथाम के लिए या कोई समस्या होने पर दिल की सेहत को बेहतर बनाने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिशन (आईएमए) के नेशनल प्रेसीडेंट पद्मश्री केके अग्रवाल कहते हैं, 'योग के दौरान विभिन्न आसन करने से मांसपेशियों की कसरत होती है। मांसपेशियों को मेहनत करवाने वाली हर क्रिया दिल और धमनियों के लिए बेहतर होती है। कसरत से मांसपेशियां इनसुलिन के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती है, जो ब्लड शूगर को नियंत्रित करने में मदद करती है। गहरी सांस की क्रियाएं सांस की गति को धीमा करने में मदद करती हैं।'
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वह कहते हैं कि अगर उचित कसरत के साथ योग को अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) के सुझावों के अनुसार अपनाया जाए तो यह दिल के रोगों के लिए विश्व स्तर पर लाभकारी हो सकता है।
एएचए के सुझाव: हफ्ते में 5 दिन 30 मिनट तक एरोबिक्स करें यानी कुल 150 मिनट या 25 मिनट तक। वहीं तीव्र एरोबिक्स क्रियाएं हफ्ते में तीन दिन करें यानी सप्ताह में 75 मिनट या फिर मध्यम और तीव्र एरोबिक्स की मिलीजुली कसरत करें।
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डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि कम लेकिन गहरी सांसें लेने से हर मिनट में अस्थायी रूप से ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। यह नर्वस सिस्टम को आराम देता है, जो तनाव के हार्मोन्स पैदा करने के लिए जिम्मेदार होता है। आसन और गहरी सांस क्रियाएं ऐसे शरीरिक ध्यान का लाभ देती हैं जो दिमाग को केंद्रित और स्पष्ट करने में मदद करता है। ध्यान और चेतनता वाले योग दिल के रोगियों को लाभ पहुंचाते हैं। कार्डियक योग असल में धमनियों का हल्का योग अभ्यास है, जिसे दिल के रोगियों के लिए विशेष तौर पर तैयार किया गया है।
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योग के लाभ:
* ब्लड प्रेशर कम करना
* हार्ट फेल्योर के लक्ष्णों को दूर करना
* दिल के रोगों से हुई क्षति को सुधारना
* कोलेस्ट्रोल, ब्लड शूगर और तनाव के हार्मोन्स जैसे दिल के रोगों के विभिन्न खतरों को कम करना
* बेहतर संतुलन बनाने, गिरने से बचाने, अर्थरायटस में आराम देने और करोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव प्लमनरी रोग से पीड़ित लोगों के सांस लेने में सुधार।
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Source : IANS