Advertisment

शहद नहीं महज चीनी शरबत खा रहे आप, CSE ने मिलावट की बात कही

खाद्य नियामक, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा शहद के परीक्षण के लिए निर्धारित मानदंडों का पूरी तरह से कंपनियों द्वारा अनुपालन किया जाता है.

author-image
Dhirendra Kumar
एडिट
New Update
Honey

शहद (Honey) ( Photo Credit : newsnation)

Advertisment

डाबर और पतंजलि ने पर्यावरण प्रहरी सीएसई (Centre for Science and Environment-CSE) के इन दावों पर सवाल उठाया कि उनके द्वारा बेचे जाने वाले शहद (Honey) में चीनी शरबत की मिलावट है. कंपनियों ने कहा कि यह दुर्भावना और उनकी ब्रांड छवि को खराब करने के उद्देश्य से प्रेरित लगता है. कंपनियों ने इस बात पर जोर देते हुये कहा कि उनके द्वारा बेचे गए शहद को प्राकृतिक रूप से एकत्रित किया जाता है और बिना चीनी या अन्य किसी मिलावट के पैक किया जाता है. इसके अलावा, खाद्य नियामक, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा शहद के परीक्षण के लिए निर्धारित मानदंडों का पूरी तरह से कंपनियों द्वारा अनुपालन किया जाता है. 

यह भी पढ़ें: स्पुतनिक वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण शुरू

ब्रांड की छवि को खराब करने के उद्देश्य से प्रेरित
डाबर के एक प्रवक्ता ने कहा कि हालिया रिपोर्ट दुर्भावना और हमारे ब्रांड की छवि को खराब करने के उद्देश्य से प्रेरित प्रतीत होती है. हम अपने उपभोक्ताओं को आश्वस्त करते हैं कि डाबर हनी शत प्रतिशत शुद्ध और स्वदेशी है, जिसे भारतीय स्रोतों से प्राकृतिक रूप से एकत्रित किया जाता है और बिना चीनी या अन्य किसी मिलावट के साथ पैक किया जाता है. पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह प्रसंस्कृत शहद को बढ़ावा देने के लिए भारतीय प्राकृतिक शहद उद्योग और निर्माताओं को बदनाम करने की साजिश है. यह एक ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग चैनल सहित लाखों ग्रामीण किसानों और शहद उत्पादकों’ को हटाकर प्रसंस्कृत / कृत्रिम / मूल्य वर्धित शहद निर्माताओं को प्रतिस्थापित करने की योजना लगती है. यह देखते हुए कि शहद बनाना, एक भारी पूंजी खर्च वाला और मशीनरी द्वारा संचालित उद्योग है, बालकृष्ण ने कहा, ‘‘हम 100 प्रतिशत प्राकृतिक शहद बनाते हैं जो शहद के लिए एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित 100 से अधिक मानकों पर खरा है. 

यह भी पढ़ें: दिल्ली के बाद अब गुजरात में भी RT-PCR टेस्ट की कीमत 800 रुपये की गई

कोलकाता स्थित इमामी समूह, जो झंडू ब्रांड का मालिक है, ने कहा कि वह इस संबंध में एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित सभी प्रोटोकॉल का पालन करता है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने बुधवार को दावा किया कि भारत में कई प्रमुख ब्रांड द्वारा बेचे जाने वाले शहद में चीनी शरबत की मिलावट पाई गई। अपने अध्ययन में, सीएसई ने तीन कंपनियों के ब्रांड का भी उल्लेख किया. अध्ययन में कहा गया है कि डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय जैसे प्रमुख ब्रांड के शहद के नमूने एनएमआर (न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस) परीक्षण में विफल रहे. 

यह भी पढ़ें: नाक के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश कर सकता है कोरोना वायरस : अध्ययन

राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के कार्यकारी सदस्य देवव्रत शर्मा ने कहा कि न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) परीक्षण में इस बात का भी पता मिल सकता है कि कोई खास शहद किस फूल से, कब और किस देश में निकाला गया है। इस परीक्षण में चूक होने की गुंजाइश नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य नियामक, एफएसएसएआई को अपने शहद के मानकों में एनएमआर परीक्षण को अनिवार्य कर देना चाहिये ताकि हमारे देशवासियों को भी शुद्ध शहद खाने को मिले। अभी एनएमअर जांच केवल अमेरिका को होने वाले निर्यात के लिए लागू है, एफएसएसएआई को इसे देश के हर शहद उत्पादकों पर अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए एनएमआर परीक्षण को अपने गुणवत्ता मानकों में शामिल करना चाहिये।’’ बालकृष्ण ने इस अध्ययन को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारतीय शहद की बाजार हिस्सेदारी को कम करने का प्रयास के रूप में माना. (इनपुट भाषा)

Source : News Nation Bureau

Honey Adulterated Honey शहद Centre for Science and Environment CSE सीएसई राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड
Advertisment
Advertisment
Advertisment