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जीका वायरस के संक्रमण को रोकने का टीका विकसित

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दो प्रारंभिक क्लीनिक परीक्षणों में एक प्रायोगिक जीका टीका विकसित किया है।

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Aditi Singh
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जीका वायरस के संक्रमण को रोकने का टीका विकसित
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अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दो प्रारंभिक क्लीनिक परीक्षणों में एक प्रायोगिक जीका टीका विकसित किया है, जो घातक वायरस द्वारा संक्रमण को रोकने में सुरक्षित और भरोसेमंद है। लांसेट पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों में दिखाया गया है कि स्वस्थ वयस्कों में यह एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करता है।

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अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान का हिस्सा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी और इंफेक्शियस डिसीज (एनआईएआईडी) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए जांच टीके में डीएनए का एक छोटा और गोल आकार का टुकड़ा शामिल है, जिसे प्लाज्मिड कहा जाता है।

वैज्ञानिकों ने प्लाज्मिड में जीन डाला, जो कि जीका वायरस की सतह पर पाए जाने वाले दो प्रोटीनों को सांकेतिक रूप से दर्ज करता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि जब टीके को मांसपेशियों में इंजेक्ट किया गया तो शरीर में प्रोटीन बनना शुरू हुआ और कणों के रूप में इकट्ठा होने लगा। यह कण जीका वायरस की नकल करते हैं और शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाते हैं।

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क्लीनिकल परीक्षण के लिए, शोधकर्ताओं ने दो अलग-अलग प्लाज्मिड विकसित किए- वीआरसी288 और वीआरसी5283। इन दोनों को अलग-अलग परीक्षणों में जांचा गया।

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वैज्ञानिकों ने अंतिम टीके के चार सप्ताह बाद प्रतिभागियों से प्राप्त रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया।

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एनआईएआईडी के निदेशक एंथनी फौसी ने कहा, 'प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान जीका संक्रमण का कारण जन्म दोष हो सकता है। एनआईएआईडी के वैज्ञानिकों ने तेजी से एक डीएनए आधारित प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए पहला जांच जीका टीका बना दिया और एक वर्ष से भी कम समय में स्वस्थ वयस्कों में प्रारंभिक अध्ययन शुरू किया।'

फौसी ने कहा, 'एनआईएआईडी ने इसके दूसरे चरण के परीक्षण को शुरू किया है, ताकि निर्धारित किया जा सके कि क्या यह जीका वायरस के संक्रमण को रोक सकता है। आज जारी किए गए भरोसेमंद पहले चरण के आंकड़े निरंतर विकास का समर्थन करते हैं।'

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Source : IANS

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