भारत में अब CHPV infection ने बढ़ाई चिंता, छोटे बच्चों पर मंडरा रहा खतरा

CHPV Infection : द लैंसेट में 2003 में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार, CHPV इंफेक्शन की चपेट में आने वाले आधे से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है.

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Neha Singh
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CHPV Infection

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CHPV Infection : भारत में मंकीपॉक्स के बाद अब एक और इंफेक्शन ने चिंता बढ़ा दी है. इसका नाम चांदीपुरा वायरस ( Chandipura Virus) है. इसका केस गुजरात के बाद अब मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी पहुंच चुका है. दुनिया के कई देश इन दिनों मंकीपॉक्स संक्रमण से परेशान हैं. अफ्रीका से लेकर यूएस और एशियाई देशों में भी इस वायरल संक्रमण का प्रकोप देखा जा रहा है. वहीं भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में चांदीपुरा वायरस को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है. द लैंसेट में 2003 में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार, CHPV इंफेक्शन की चपेट में आने वाले आधे से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. इसमें छोटे बच्चों की संख्या ज्यादा होती है. आइए जानते हैं इसके बारे में. 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेताया 

बता दें कि इसी साल जुलाई में गुजरात के कुछ हिस्सों से चांदीपुरा वायरस के मामले सामने आए थे. इसके बाद देखते ही देखते ये संक्रमण मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी पहुंच गया. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इस साल जून से लेकर 15 अगस्त तक भारत में चांदीपुरा संक्रमण और इसके कारण होने वाले एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 245 मामले सामने आए हैं, जिनमें 82 मरीजों की मौत भी हो गई है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों से विशेष सावधानी बरतते रहने की अपील की है.

बच्चों के लिए खतरनाक 

चांदीपुरा वायरस (CHPV), रैबडोविरिडे फैमिली का मेंबर है. ग्रामीण इलाकों में इसका खतरा ज्यादा देखने को मिलता है. बच्चे इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं.  इसका मतलब यह संक्रमण मच्छर, रेत वाली मक्खी (सैंड फ्लाई) जैसे वेक्टर्स के काटने से फैलता है.

इलाज में लापरवाही बन सकती है जानलेवा 

संक्रमण की वजह से सिर में सूजन आ सकती है, जो बाद में न्यूरोलॉजिकल कंडीशन बन जाती है. जांच और इलाज में लापरवाही जानलेवा बन सकती है.

चांदीपुरा वायरस के लक्षण 

तेज बुखार
बुखार के साथ उल्टी
मानसिक स्थिति बिगड़ना, चेतना में बदलाव
रोशनी से समस्या यानी फोटोफोबिया
डायरिया
सिरदर्द
गर्दन में अकड़न
दौरे पड़ना

व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलता 

डब्ल्यूएचओ ने कहा, भारत में वैसे तो CHPV एंडेमिक स्टेज में है और पहले भी इसका प्रकोप होता रहा है। हालांकि,वर्तमान प्रकोप पिछले 20 वर्षों में सबसे बड़ा है। इसके संक्रमित व्यक्ति से अन्य लोगों में फैलने का खतरा नहीं होता है। प्रभावित क्षेत्रों में खेतों या झाड़ियों में जाने से बचें, यहां कीटों और टिक्स के काटने से संक्रमण का खतरा हो सकता है।

ऐसे करें वायरस से बचाव 

  • जंगली जानवरों से दूर रहें
  • मच्छरदानी लगाकर सोएं
  • पूरी बांह के कपड़े पहनें
  • इम्यूनिटी मजबूत बनाएं
  • कीड़े और मच्छरों से बचकर रहें
  • हाइजीन बनाएं
      
    (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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