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प्रेग्नेंट होने की क्या है परफेक्ट उम्र ? जानें किस ऐज के बाद कंसीव करने में आती है दिक्कत

मेडिकल साइंस के मुताबिक अधिक उम्र में मां बनना बच्चे के साथ-साथ आपके लिए भी परेशानियां खड़ी कर सकता है. जो बाद में बांझपन का कारण बन जाती है. आइए जानते हैं क्या है

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Neha Singh
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Pregnancy Tips: यूं तो शादी और बच्चे की प्लानिंग निजी फैसला होता है लेकिन मेडिकल साइंस के मुताबिक अधिक उम्र में मां बनना बच्चे के साथ-साथ आपके लिए भी परेशानियां खड़ी कर सकता है. आजकल अधिकांश लड़कियां 30 साल की उम्र में शादी करती हैं. इसके बाद भी करियर सेट होने तक बच्चे पैदा करने की प्लानिंग नहीं करती हैं. वहीं कुछ महिलाएं लेट शादी के बाद भी बच्चा प्लान करने में काफी लेट सोचती हैं. लेकिन क्या आपको पता है ये कितना खतरनाक है. क्योंकि तब तक आपकी सेहत सही नहीं रह जाती और कंसीव करने में भी समस्याएं आती हैं, जो बाद में बांझपन का कारण बन सकती है. आइए जानते हैं क्या है प्रेग्नेंट होने की परफेक्ट उम्र. 

देर से कंसीव करने के ट्रेंड में इजाफा

साल 2020 में ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिक्स में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार देर से बच्चा कंसीव करने के ट्रेंड में इजाफा हो रहा है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं बिना मां बने 30 की उम्र में कदम रख रही हैं. स्टडी के मुताबिक साल 2020 में अपना 30वां जन्मदिन मनाने वाली वर्ष 1990 में जन्मीं आधी महिलाएं ने कंसीव नहीं करने का फैसला लिया.

35 साल की उम्र प्रेग्नेंसी के लिए उपयुक्त

अधिकतर चिकित्सकों ने माना है कि महिलाओं के लिए गर्भधारण करने के लिए 35 साल तक की उम्र सबसे उपयुक्त है. महिलाओं को 35 साल के बाद भी इस प्रकिया के दौरान ज्यादा दिक्कत नहीं होती है. इस उम्र के बाद कंसीव करने में काफी तकलीफ होती है.उन्हें कई तरह के स्वास्थ्य संबंधित दिक्कतें होने का खतरा बढ़ जाता है.

लेट गर्भधारण में कई सारे रिस्क फैक्टर्स

गायनोलॉजिस्ट की मानें तो लेट गर्भधारण में कई सारे रिस्क फैक्टर्स होते हैं. महिलाओं में 35 की उम्र के बाद प्रेग्नेंसी को एडवांस मैटरनल एज के तौर पर कैटेगराइज किया गया है.  महिलाओं की एग क्वॉलिटी 35 की उम्र के बाद प्रभावित होने लगती है. इसमें सबसे ज्यादा गिरावट 40 के बाद आती है. इस दौरान होने वाले बच्चे में क्रोमोसोमल एब्नार्मेलिटी और डाउन सिंड्रोम होने का खतरा बढ़ जाता है.

प्रीक्लेम्पसिया का हो सकते हैं शिकार 

ज्यादा उम्र में गर्भधारण करने से प्रीक्लेम्पसिया से जैसे गंभीर मेडिकल कंडीशन का खतरा भी बढ़ जाता है. प्रेगनेंसी के बीच में करीब 20 हफ्ते बाद आप प्रीक्लेम्पसिया का शिकार हो सकते हैं. इसमें आपको सूजन, पेशाब में प्रोटीन आने, सिरदर्द और धुंधला दिखाई देने जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जीवन के लिए खतरनाक कॉम्प्लीकेशन्स से बचने के लिए इसका ट्रीटमेंट जरूरी हो जाता है.

पुरुष की उम्र का भी पड़ता असर 

मां के साथ पिता के उम्र का भी होने वाले बच्चों की सेहत पर असर पड़ता है. अगर पिता की उम्र ज्यादा है तो बच्चे पर मार्फन्स सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है. वैसे तो पुरुष जीवनभर स्पर्म प्रोड्यूस कर सकते हैं, लेकिन इसकी क्वॉलिटी उम्र के साथ घटती जाती है. एडवांस पैटेरनल एज में बच्चों में हायर जेनेटिक डिसॉर्डर जैसी स्थिति आ सकती है. साथ ही उन्हें ऑटिज़्म, सिजोफ्रेनिया और बायपोलर डिसॉर्डर का सामना करना पड़ सकता है

ये है बच्चा पैदा करने की परफेक्ट उम्र

कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि किसी महिला के बच्चे पैदा करने की सही उम्र 20 से 30 साल तक होती है. उम्र बढ़ने के साथ फर्टिलिटी क्षमता कम होने लगती है और उनके अंडों की गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है. कुछ महिलाए उम्र बढ़ने के साथ एंडोमेट्रियोसिस की समस्या की चपेट में आ जाती हैं. इससे बच्चा कंसीव करने में उन्हें परेशानी आती है. 

इस तरह रखें प्रेग्नेंसी में ख्याल

1. 30 की उम्र में प्रेग्नेंसी में डायबिटीज की आशंका को देखते हुए आपको अपने खानपान का खास ख्याल रखना चाहिए. समय-समय पर चेकअप जरूर कराते रहे.

2. लेट प्रेग्नेंसी के दौरान बीपी को कंट्रोल में रखने के लिए अपना भोजन में बहुत अधिक नमक वाली चीजों शामिल न करें. 

3. 30 की उम्र में गर्भवती होने पर मां और भ्रूण के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए विशेष सप्लीमेंट और विटामिन का सेवन करना जरूरी हो जाता है.

4.  फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम और विटामिन डी जैसे न्यूट्रिएंट्स भ्रूण के विकास और महिला की सेहत के लिए जरूरी हैं.

5. प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को इमोशनल सपोर्ट की भी जरूरत होती है. ऐसे में फैमिली मेंबर्स खासकर पति को इस फेज में पत्नी का खास ख्याल रखना चाहिए.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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