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काजोल की तरह कढ़ाई-बुनाई करके रहें मेंटली फिट, Research में दावा तनाव वाले हॉर्मोन में आती कमी

बुनाई और पेंटिंग समेत सभी कलात्मक व रचनात्मक गतिविधियों को दिनचर्या में अनिवार्य रूप से शामिल करने से तनाव से छुटकारा मिलता है. साथ ही मन को शांति भी मिलती है.

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Neha Singh
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Mental Health: फेमस एक्ट्रेस काजोल को आपने कई बार कढ़ाई-बुनाई करते देखा होगा. हाल ही में कार के पीछे वाली सीट पर बैठकर बुनाई करते हुए उनकी एक फोटो वायरल हुई थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि तनाव को कम करने का एक बहुत ही आसान और प्रभावी तरीका आपके घर में ही मौजूद है? जी हां, हम बात कर रहे हैं कढ़ाई-बुनाई की. आमतौर पर बुनाई, कढ़ाई, चित्रकारी, पेंटिंग आदि रचनात्मक गतिविधियों को शौक या टाइमपास से ही जोड़कर देखा जाता है, लेकिन नए शोध में दावा किया गया है कि रचनात्मक गतिविधियों से मानसिक सेहत दुरुस्त रहती है. शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि कढ़ाई-बुनाई करने से तनाव वाले हॉर्मोन कार्टिसोल का लेवल कम होता है और साथ ही सुखद हॉर्मोन सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है. 

35 करोड़ लोग डिप्रेशन में 

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के मुताबिक दुनिया का हर चौथा इंसान अपनी जिंदगी में एक बार मेंटल इलनेस का सामना करता है. इस वक्त में करीब 35 करोड़ लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. WHO के आंकड़ों को मानें तो मलेरिया से हर साल 6 लाख 19 हजार लोगों की मौत होती है. जबकि 7 लाख लोग खुद ही आपनी जान ले रहे हैं. इसके पीछे मेंटल इलनेस बड़ी वजह है. कोरोना महामारी के बाद ऐसी समस्या ज्यादा सामने आ रहीं हैं. 

7,182 प्रतिभागियों के नमूनों का विश्लेषण 

एंग्लिया रस्किन विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान और खेल विज्ञान स्कूल की प्रमुख डॉ. हेलेन कीज ने अपनी टीम के साथ मिलकर एक अध्ययन किया है. हेलेन और उनकी टीम ने जीवन संतुष्टि पर रचनात्मक गतिविधियों के प्रभाव की जांच करने के लिए 16 वर्ष और उससे अधिक आयु के 7,182 प्रतिभागियों के नमूनों का विश्लेषण किया. इनमें से 37% से अधिक लोगों ने पिछले साल कम से कम एक रचनात्मक गतिविधि अपनाई थी. इसका मकसद लोगों के स्वास्थ्य पर रचनात्मक गतिविधियों का असर देखना था. रचनात्मक गतिविधियों के गय जरिए मानसिक स्वास्थ्य तो सुधरता है, को साथ ही अकेलापन भी दूर हो जाता है.

हॉर्मोन कार्टिसोल में कमी आती

पसंदीदा काम करने से मेंटल हेल्थ में सुधार होता है.  कढ़ाई-बुनाई या कोई भी क्रिएटिविटी करने से एंग्जायटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी स्थितियों में सुधार होता है. अध्ययन के अनुसार, दैनिक क्रियाकलापों से ब्रेक लेकर म्यूजिक, डांस, पेंटिंग, लेखन आदि में समय व्यतीत करें. किसी तरह की कला में समय व्यतीत करने से शरीर में तनाव वाले हॉर्मोन कार्टिसोल में कमी आती है.

सामने आए ये नतीजे

प्रतियोगियों ने बताया कि रचनात्मक गतिविधियों में हिस्सा लेने से जीवन के प्रति संतुष्टि और खुशी का अनुभव हुआ. इस अध्ययन से यह नहीं स्पष्ट हो सका कि आर्ट और क्राफ्ट न करने से चिंता, तनाव और अवसाद बढ़ता है या नहीं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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