Brain Tumor Treatment : ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनकर ही लोगों के मन में मनहूसियत छा जाती है. क्योंकि कई बार इसका इलाज हो जाता है तो कई बार यह मरीज की जान भी ले लेता है. जानलेवा बीमारी ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor)के इलाज की सफलता दर अब भी बेहद कम है. इसके इलाज में खर्च भी ज्यादा आता है. ऐसे में एक खुशखबरी वाली न्यूज सामने आई है. भारत में अब प्रोटीन-नैनो तकनीक (protein nano technology)से ब्रेन ट्यूमर का इलाज संभव होगा.आईआईटी दिल्ली ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है. चूहों पर हुए शोध के परीक्षण के नतीजे बेहद सकारात्मक आए हैं. आईआईटी के शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि इलाज की नई तकनीक भविष्य में इंसानों के लिए भी मददगार साबित होगी.
घातक कोशिकाओं को नष्ट किया
आईआईटी दिल्ली के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयंत भट्टाचार्य के मार्गदर्शन में काम करते हुए संस्थान के पीएचडी छात्र विदित गौड़ ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई है. इसमें घातक कोशिकाओं को नष्ट किया गया. इसके साथ ही इम्यून सिस्टम को सक्रिय करने पर काम किया गया.
साइड इफेक्ट भी कम होंगे
शोधकर्ताओं ने कहा कि अभी 40 एगोनिस्ट एंटीबॉडी से कैंसर के इलाज के कई साइड इफेक्ट हैं. यह शरीर के कई अंगों विशेष तौर पर लिवर पर ज्यादा असर करता है. इम्यूनोसीम्स के साथ इसका इस्तेमाल करने पर यह साइड इफेक्ट भी कम करेगा.
क्या है ग्लियोब्लास्टोमा (glioblastoma cancer)
ग्लियोब्लास्टोमा एक कैंसर है जो लोगों में सबसे अधिक पाया जाता है. यह तेजी से दिमाग में फैलता है. आंकड़े बताते हैं कि इस ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित मरीजों का जीवन इसका पता लगने के बाद 12 से 18 महीने तक ही होता है. वर्तमान समय में इसके इलाज के लिए सर्जरी से लेकर कीमो और रेडियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें कई तरह के साइड इफेक्ट भी हैं. शोध में इम्यूनोसोम नाम का एक नैनो फार्मूला विकसित किया जो सीडी 40 एगोनिस्ट एंटीबॉडी को कैंसर रोधी एजेंट पारएक्स-001 से जोड़ता है.
चूहों पर इसका प्रयोग सफल रहा
डिपार्टमेंट ऑफ मालिक्यूलर मेडिसन जामिया हमदर्द के सुरजीत गांगुली के अनुसार चूहों पर इसका प्रयोग सफल रहा है. चूहों पर इसका परीक्षण करके देखा गया. चूहों को इम्यूनोसोम्स से उपचारित करने पर ट्यूमर पूरी तरह खत्म हो गया और वे चूहे कम से कम तीन महीने तक ट्यूमर से मुक्त रहे. दो हफ्ते में ही ट्यूमर घटने लगा. अब मानव पर परीक्षण की जरूरत है. यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है. इसके साइड इफेक्ट कम हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
यह भी पढ़ें:क्या जरा सा चलने पर फूलने लगती है आपकी भी सांस, नजरअंदाज न करें ये ब्रीदिंग प्रोब्लम