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कोख पर वार: मां बनने के सुख को छिन रहा मोटापा, जंक फूड बना फर्टिलिटी का दुश्मन

पिछले 30 सालों में दुनिया भर में मोटापा 4 गुना की तेजी से बढ़ा है. भारत की बात करें तो यहां बीएमआई के हिसाब से 23 फीसदी महिलाएं मोटापे का शिकार हैं. उम्र के लिहाज से देखा जाए तो 30 से 39 साल के बीच की हर दूसरी महिला मोटापे की शिकार है.

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Neha Singh
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How Obesity Affects Your Fertility

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Causes of infertility: मोटापा और जंक फूड महिलाओं की कोख पर वार पर तीखा वार कर रहा है. इसकी वजह से महिलाएं मां बनने के सुख (Female Infertility)से वंचित हो रही हैं. कार्यस्थल का तनाव भी इस रास्ते में बाधा बन रहा है. अधिक वजन (How Obesity Affects Your Fertility)और लंबे समय तक जंक फूड खाने से अंडाशय (ओवरी) कमजोर हो जाता है. जीएमयू के महिला रोग अस्पताल की ओपीडी में फर्टिलिटी पर किए गए सर्वे में ये तथ्य निकलकर सामने आया है. मोटापा दुनिया भर को अपनी गिरफ्त में ले रहा है, पर महिलाओं को यह ज्यादा तेजी से अपना शिकार बना रहा है. इस समस्या से जुड़े आंकड़े चौंकाने वाले हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.  

4 गुना की तेजी से बढ़ा मोटापा

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सौ करोड़ से अधिक लोग मोटापे से पीड़ित हैं. पिछले 30 सालों में दुनिया भर में मोटापा 4 गुना की तेजी से बढ़ा है. भारत की बात करें तो यहां बीएमआई के हिसाब से 23 फीसदी महिलाएं मोटापे का शिकार हैं. उम्र के लिहाज से देखा जाए तो 30 से 39 साल के बीच की हर दूसरी महिला मोटापे की शिकार है. 

ओवरी को नुकसान पहुंचा रहीं दवाएं  (Why are so many women infertile now?)

अस्पताल की विभाग अध्यक्ष के अनुसार कुछ महिलाओं में यह भी देखा गया है कि आईवीएफ के इलाज के लिए जो दवाएं दी जाती हैं वो भी ओवरी को नुकसान पहुंचा रही हैं. सर्वे में एक तिहाई महिलाओं का अंडाशय कमजोर मिला. 30 से 40 साल की महिलाओं का अंडाशय 50 से 55 वर्ष की महिलाओं की तरह कमजोर पाया जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ एडंलेड के शोध के मुताबिक सप्ताह में कम से कम चार बार फास्ट फूड (Fertility and diet) खाने वाली महिलाओं में कभी कभार फास्ट फूड खाने वाली महिलाओं के मुकाबले बांझपन का जोखिम 16 फीसदी ज्यादा था. 

समय से पहले हो रहा मेनोपॉज 

इन दिनों 30 से 40 वर्ष की उम्र में ही कई महिलाओं में मेनोपॉज की स्थिति मिल रही है. अंडाशय में अहे बनना रुकने से यह स्थिति उत्पन्न होती है और अंडाशय की कार्यक्षमता प्रभावित होती है. आमतौर पर कैंसर या अन्य बीमारी होने पर प्री-मेनोपॉज जया जाता है पर बिना किसी बीमारी के यह स्थिति महिलाओं के लिए चिंताजनक है.

आईवीएफ सहित अन्य तरीके अपनाने पड़ रहे 

कम उम्र से ही बच्चे फास्टफूड व बाजार की अन्य बीजें खा रहे हैं. बड़े होने पर इसका असर दिखता है. बाजार के खानदान में नमक, मिठास ज्यादा होती है जिससे मोटापा बढ़ता है. इसके नियमित सेवन से महिलाओं का अंडाशय कमजोर (Impact of obesity on infertility in women)हो जाता है और बांझपन का खतरा बढ़ता है. नतीजतन दंपतियों को संतान प्राप्ति के लिए आईवीएफ सहित अन्य उपायों का सहारा लेना पड़ता है.

हार्मोन्स हैं बड़ी वजह

थायरॉइड, एस्ट्रोजन, कॉर्टिसोल और इंसुलिन सरीखे हार्मोन्स का असंतुलन आपके वजन के संतुलन को बिगाड़ सकता है. थायरॉइड हार्मोन बढ़ते वजन का सबसे आम कारण है.  कमजोरी, ज्यादा ठंड महसूस करना, कब्ज,अवसाद, पीरियड की समस्या, पैरों में सूजन या फिर आवाज में बदलाव जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें.

एस्ट्रोजन हार्मोन 

एस्ट्रोजन हार्मोन बढ़ने से पीसीओडी की समस्या होती है इसे अनदेखा न करें. कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स में एस्ट्रोजन होता है, इसलिए गर्भ निरोधक दवाइयां लेने वाली महिलाओं के शरीर में इस हार्मोन की मात्रा में इजाफा हो जाता है. इससे खासतौर पर शरीर के निचले हिस्से में चर्बी चढ़ती है. इसके अलावा प्री-मेनोपॉज की स्थिति में भी वजन बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है. 

स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल

इस हार्मोन का काम ऊर्जा के स्तर को संतुलित रखना और मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखना है. गड़बड़ जीवनशैली और खानपान की गलत आदतों के चलते भी कॉर्टिसोल ज्यादा बनने लगता है. 

समाधान पर ऐसे करें काम

  1. जीएलपी-5 हार्मोन पेट भरने के संकेत देता है. इसमें कमी न आए इसके लिए प्रोटीन का सेवन अधिक करें. पेपटाइड वाई वाई और लेप्टिन हार्मोन पेट भरने का संकेत देते हैं. इसे बनाए रखने के लिए व्यायाम जरूरी है.
  2. ज्यादा देर तक भूखे रहने पर न्यूरोपेप्टाइड वाई जो कि भूख बढ़ाने वाला हार्मोन है, का उत्पादन बढ़ जाता है और हमारा खानपान भी ज्यादा हो जाता है. जरूरी है कुछ घंटों के अंतर से नियमित खानपान करते रहें.
  3. घ्रेलिन छोटी आंत से निकलने वाला हार्मोन है जो भूख को बढ़ाता है. इसको काबू में रखने के लिए लंबे अंतराल तक भूखे रहने से बचें. अपने खानपान में फाइबर युक्त सब्जियां, फल के साथ प्रोटीन और गुड फैट युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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