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खतरा! हमेशा इन 10 गंभीर बीमारियों के साएं में रहती हैं महिलाएं, इग्नोर करना प्राणघातक

Women's Health: वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2019 में दुनिया में करीब 5.54 करोड़ लोगों की मौत अलग-अलग बीमारियों की वजह से हो चुकी है.

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Neha Singh
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Top 10 diseases in women

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Top 10 diseases in women: महिलाएं प्रकृति का एक खूबसूरत स्वरूप हैं. लेकिन बदलते वक्त के साथ बीमारियों के कहर के चलते इनकी सेहत लगातार मुरझाती जा रही है. महिलाओं पर तमाम बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है. बड़ी तादाद में महिलाएं बीमारियों की वजह से मौत के मुंह में समा रही हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2019 में दुनिया में करीब 5.54 करोड़ लोगों की मौत अलग-अलग बीमारियों की वजह से हो चुकी है. क्या आप जानते हैं कि कौन सी बीमारियां महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं. आज आपको उन 10 बीमारियों के बारे में बताएंगे, जो जिनके साएं में महिलाएं जीने को मजबूर हैं. 

रिप्रोडक्टिव हेल्थ 

आंकड़ों के मुताबिक 15 से 44 साल के बीच की एक तिहाई महिलाएं रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ीं समस्याओं से परेशान हैं. इसकी मुख्य वजह असुरक्षित यौन संबंध होता है. इससे बचने के लिए हर महिला को गर्भनिरोधक चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए.  

हार्ट डिजीज

महिलाओं में दूसरी सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बीमारी है हार्ट डिजीज. हृदय रोग महिलाओं में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है. यह उम्र, कोलेस्ट्रॉल स्तर, उच्च रक्तचाप और जीवनशैली से प्रभावित होता है. विशेष रूप से menopause के बाद महिलाओं में हृदय रोग का जोखिम बढ़ जाता है.

डायबिटीज

महिलाओं में टाइप 2 डायबिटीज तेजी से बढ़ रहा है. मोटापा, गतिहीन जीवनशैली और हार्मोनल इंबैलेंस इसका जिम्मेदार है. गर्भावस्था के दौरान विकसित होने वाला Gestational diabetes भी महिलाओं को प्रभावित करता है.

डिप्रेशन

आंकड़े के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाएं चिंता, डिप्रेशन की ज्यादा शिकार होती हैं. 60 से कम उम्र की कई महिलाएं डिप्रेशन के चलते खुदकुशी जैसे कदम भी उठा लेती हैं. हार्मोनल परिवर्तन, सामाजिक दबाव, और पारिवारिक समस्याएं इस स्थिति को जन्म दे सकती हैं. मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है.

ऑस्टियोपोरोसिस

एक उम्र के बाद महिलाओं की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. यह स्थिति विशेष रूप से menopause के बाद महिलाओं में अधिक होती है, जब हॉर्मोन लेवल में गिरावट आती है. इसे ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं. 

ब्रेस्ट कैंसर

WHO के आंकड़ों के मुताबिक हर साल लाखों महिलाएं सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर से मरती हैं. ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में सबसे आम कैंसर है. उम्र, पारिवारिक इतिहास और हार्मोनल कारक इसके जोखिम को बढ़ाते हैं. नियमित स्क्रीनिंग और आत्म-परीक्षण से इसके शुरुआती निदान में मदद मिल सकती है.

यूटेरिनी कैंसर

महिलाओं में गर्भाशय कैंसर (Uterine cancer) का खतरा रहता है. ये एक गंभीर समस्या है, जो हार्मोनल इंबैलेंस, मोटापा और आयु से प्रभावित होती है. इसके लक्षणों में अनियमित ब्लीडिंग शामिल हो सकते हैं, इसलिए समय पर जांच जरूरी है.

थायरॉइड रोग

महिलाएं थायरॉइड रोग से भी काफी अधिक संख्या में प्रभावित हो रही हैं. हाइपोथायरायडिज़्म और हाइपरथायरायडिज़्म की समस्या महिलाओं में आम हैं. ये स्थिति थकान, वजन परिवर्तन और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती हैं.

सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन 

HIV के अलावा गोनोरिया, क्लैमाइडिया और सिफलिस जैसी यौन संचारित बीमारियों के प्रति महिलाओं को जागरूक करने और इनके रोकथाम की जरूरत है. सिफलिस जैसी बीमारी का इलाज ना होने पर आज भी हर साल 200,000 बच्चे पैदा होने से पहले कोख में ही मर जाते हैं. 

गैर-संक्रामक बीमारियां 

2012 की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 40 लाख महिलाओं की मौत 70 साल तक पहुंचने से पहले गैर-संक्रामक बीमारियों से हो गई थी. ये मौतें रोड एक्सीडेंट, तंबाकू खाने, ज्यादा शराब और ड्रग्स के सेवन और बहुत ज्यादा मोटापे की वजह से हुई थीं. महिलाओं को सेहदमंद रहने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल पर ध्यान देने की जरूरत है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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