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बशर अल-असद के पतन के बाद सीरिया में उथल-पुथल, भारत ने निकाले अपने 75 नागरिक, जानें कैसे होगी वतन वापसी

Syria Civil War: सीरिया में पांच दशक पुरानी असर परिवार की सत्ता खत्म हो चुकी है. लेकिन अब विद्रोही गुटों के हाथ में जाने की वजह से देश के पतन की भी संभावना जताई जा रही है, इस बीच भारत ने सीरिया में फंसे अपने नागरिकों को निकालना शुरू कर दिया है.

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Suhel Khan
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Indian returns from Syria

सीरिया से 75 भारतीयों की होगी वतन वापसी (ANI)

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Syria Civil War: सीरिया में बशर अल-असर सरकार का पतन हो चुका है और अब देश में कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो गई हैं. इनमें देश पर कब्जा करने को लेकर जारी जंग और विद्युत कटौती भी शामिल है. जिसके चलते सीरिया में कई देशों के नागरिक फंसे हुए हैं. जिन्हें निकालना शुरू कर दिया गया है. भारत ने भी अपने 75 नागरिकों को सीरिया से निकाला है. असद सरकार के पतन के बाद देश से बाहर के नागरिकों का निकालना शुरू हो गया है.

सीरिया में फंसे लोगों की निकासी शुरू

विदेश मंत्रालय (MEA) के मुताबिक, सुरक्षा स्थिति के आकलन के बाद दमिश्क और बेरूत में भारतीय दूतावासों द्वारा ऑपरेशन शुरू किया गया. विदेश मंत्रालय ने देर रात एक बयान में कहा कि, "भारत सरकार ने सीरिया में हालिया घटनाक्रम के बाद आज 75 भारतीय नागरिकों को सीरिया से निकाला." विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि सभी निकाले गए लोग सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और वहां मौजूद वाणिज्यिक उड़ानों से भारत लौट रहे हैं.

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सीरिया से निकाले गए 75 लोगों में कौन-कौन शामिल

विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा कि, "सीरिया से निकाले गए लोगों में जम्मू-कश्मीर के 44 जायरीन शामिल हैं जो सईदा ज़ैनब में फंसे हुए थे. सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानों से भारत लौट आएंगे." विदेश मंत्रालय ने कहा कि सरकार विदेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देती है. इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने कहा कि, "सीरिया में बाकी बचे भारतीय नागरिकों को दमिश्क में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है."

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दमिश्क पर रविवार को कर लिया था विद्रोहियों ने कब्जा

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, "सरकार स्थिति पर बारीकी से नजर रखना जारी रखेगी." बता दें कि सीरियाई सरकार रविवार को गिर गई, क्योंकि विद्रोही बलों ने कई अन्य प्रमुख शहरों और कस्बों पर रणनीतिक कब्जे के बाद दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया. कब्जे के तुरंत बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए और विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) द्वारा दमिश्क पर नियंत्रण करने के बाद कथित तौर पर रूस में शरण मांगी. इससे उनके परिवार के 50 साल के शासन का अंत हो गया.

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