AMU Minority Status: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Aligarh Muslim University) के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा. सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय बेंच आज मामले में फैसला सुनाएगा. बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर होंगे. इस वजह से आज उनका लास्ट वर्किंग डे है. सात जजों वाली पीठ ने मामले में आठ दिन सुनवाई की थी और एक फरवरी को फैसला सुरक्षित रखा था. मामले में अब नौ माह बाद इसका फैसला सुनाया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में क्या
सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में यह तय करेगा कि संविधान के अनुच्छेद-30 के तहत किसी शैक्षणिक संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने का क्या मानदंड है. सर्वोच्च अदालत यह भी तय करेगा कि क्या संसदीय कानून द्वारा निर्मित कोई शैक्षणिक संस्थान संविधान के अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त कर सकता है.
क्या है संविधान का अनुच्छेद 30?
संविधान का अनुच्छेद 30 भारत में धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्क समुदायों को अपने धार्मिक और शैक्षिक अधिकारों का संरक्षण देता है. इसके तहत हर अल्पसंख्यक समुदाय को अधिकार है कि वे अपने धार्मिक और शैक्षिक गतिविधियों के लिए संस्थान स्थापित कर सकते हैं और उन्हें चला सकते हैं. कोई भी सरकार उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती, जब तक वह संस्थान राष्ट्र हितों और कानूनों का उल्लंघन न कर रहा हो. अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यक समुदायों को उनके संस्कृतिक, धार्मिक और शैक्षिक अधिकारों के संरक्षण की गारंटी देता है. ऐसा इसलिए कि अल्पसंख्यक अपने पहचान को बचाए रख सकें और प्रगति कर सकें.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का इतिहास
बता दें, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना सर सैयद अहमद खान ने 1875 में की थी. उस वक्त यूनिवर्सिटी का नाम अलीगढ़ मुस्लिम कॉलेज था. इसका उद्देश्य मुसलमानों के शैक्षिक उत्थान के लिए एक केंद्र स्थापित करना था. 1920 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था, जिसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी हो गया.