Andhra Pradesh Cyanide Killers: सायनाइड को दुनिया के सबसे घातक जहरों में से एक माना जाता है. कहा जाता है कि इससे कुछ ही सेकेंड्स में ही इंसान की मौत हो जाती है. आंध्र प्रदेश की तीन महिलाओं ने इसी घातक जहर से कई लोगों को मौत की नींद सुला दिया. सायनाइड से सीरियल किलिंग की ये कहानी बड़ी ही खौफनाक है, जिसे जानकर आपके पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी!
कौन हैं ये तीनों महिलाएं?
एक इंग्लिश वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी महिलाओं की पहचान मुनगप्पा रजनी (40), मुडियाला वेंकटेश्वरी उर्फ बुज्जी (32) और गोंटू रामनम्मा (60) के रूप में हुई है. तीनों महिलाएं आन्ध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के तेनाली की रहने वाली हैं. पुलिस ने मामले में अभी इन तीनों महिलाओं को ही अरेस्ट किया है, लेकिन संदेह है कि और भी लोग हो सकते हैं. पकड़ी गईं महिलाओं पर आरोप है कि इन्होंने पिछले दो सालों में कई लोगों को सायनाइड देखकर मार डाला.
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कितने कर चुकी हैं मर्डर?
पुलिस पूछताछ में इन तीनों महिलाओं ने कई राज उगले हैं. आरोपी महिलाओं ने बताया कि वे अब तक तीन लोगों की सायनाइड युक्त ड्रिंक और खाना देकर हत्या कर चुकी हैं. इनके अलावा ये तीन अन्य को मारने का प्रयास कर चुकी हैं. बताया जा रहा है कि ये महिलाएं 2022 से कई हत्याओं में शामिल हैं. पुलिस अंदेशा जता रही है कि ये महिलाएं और भी कई हत्याओं में शामिल हो सकती हैं. पुलिस का कहना है कि पूछताछ पूरी होने के बाद पता चल सकेगा कि क्या कोई और भी पीड़ित था.
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महिलाओं ने क्यों कीं हत्याएं?
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महिलाओं ने पैसा और सोना लूटने के लिए इन हत्याओं को अंजाम दिया.
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प्रोपर्टी और गहनों के लिए सास को सायनाइड देकर उसका मर्डर किया.
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कर्ज नहीं देना पड़े इसलिए कर्जदार को सायनाइड देकर मार डाला.
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शख्स का बीमा और पेंशन लेने के लिए सायनाइड देकर उसकी हत्या की.
कहां से मिला सायनाइड?
पुलिस पूछताछ में आरोपी महिलाओं ने बताया कि उन्होंने सायनाइड कृष्णा नाम के शख्स से चार हजार में दो बार में सायनाइड खरीदा था. कृष्णा तेनाली में ही एक ज्वैलरी शॉप काम करता है. कृष्णा अभी फरार है.
आखिर कैसे हुआ खुलासा?
गुंटूर के एसपी एस सतीश कुमार के मुताबिक, करीब दो महीने पहले वडलामुडी गांव (Vadlamudi village) के पास एक खेत में एक सड़ा-गला शव मिला था, जिसका शिनाख्त शेख नागूर बी (Shaik Nagoor Bee) के रूप में हुई थी. पुलिस ने शुरुआत में अज्ञात कारणों से संदिग्ध मौत का मामला दर्ज किया था. हालांकि, जांच के बाद पता चला कि शेख नागूर बी की मौत सायनाइड दिए जाने की वजह से हुई थी.
पुलिस ने गहराई से जांच शुरू की. मोबाइल डेटा एनालिसिस करने और महेश नाम के एक ऑटो चालक सहित कई गवाहों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने इस खौफनाक साजिश का पता लगाया. पता चला कि आरोपी महिलाओं ने 5 जून को पीड़िता को साथ टहलने के बाद बुलाया. मौका पाकर इन्होंने उसे शराब में सायनाइड मिलाकर पिला दिया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई और फिर इन्होंने उसके सोने के गहने चुरा लिए.
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घटना के चश्मदीद ऑटो ड्राइवर ने बड़ा खुलासा किया. उनसे पुलिस को बताया कि आरोपी महिलाओं और पीड़िता को अपने ऑटो में बैठाया था. उसने कहा कि उसने आरोपी महिलाओं को शराब खरीदते हुए भी देखा, जिसके पीने से शेख नागूर बी की मौत हुई. जांच में पता चला कि आरोपी महिलाएं खासतौर से महिलाओं को ही निशाना बनाती थीं ताकि ये उनसे सोने और चांदी के गहने लूट सकें.
हत्या की वारदातें
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आरोपी वेंकटेश्वरी ने प्रॉपर्टी और सोने के गहने पाने के लिए अपनी सांस सुब्बालक्ष्मी को सायनाइड देखकर मार डाला.
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65 वर्षीय नगमा नाम की महिला, जो एक आरोपी महिला की पड़ौसी थी, जिसे उसने कर्ज के 20 हजार रुपये न देने पड़े, इसलिए उसे सायनाइड देकर उसकी हत्या कर दी.
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आरोपी महिलाओं ने एक शख्स की पत्नी भूदेवी के साथ मिलकर उसके बीमा और पेंशन का क्लेम लेने के लिए उसकी हत्या कर दी.
मारने के प्रयास
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आरोपी महिलाओं ने गांव में स्वयंसेवक के रूप में काम करने वाली अन्नपूर्णा को सायनाइड मिला हुआ खाना देकर उसे मारने की कोशिश की, लेकिन उसे शक हुआ तो उसने खाना नहीं खाया.
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मुरगप्पा वरलमाडी नाम की एक महिलाओं को भी सायनाइड मिला हुआ खाना दिया, लेकिन तभी उसके पति का फोन आ गया, जब उसने अपने पति को बताया कि वह आरोपी महिलाओं के साथ ही है, तो अरेस्ट होने के डर से इन्होंने उसे मारने की प्लानिंग छोड़ दी.
कितना खतरनाक सायनाइड?
- सायनाइड अत्यधिक विषैला और संभाविक रूप से घातक बताया जाता है. कुछ रिपोर्ट के मुताबिक इसका स्वाद कड़वा बताया जाता है. यह गैस, तरल और ठोस तीनों ही रूपों में हो सकता है.
- प्रकृति में साइनाइड कुछ खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जैसे बादाम और सेब के बीजों में आदि. बॉलीवुड फिल्म मॉम में भी ऐसा ही कुछ दिखाया गया है.
- सायनाइड को सबसे पहले 1786 में प्रुशियन ब्लू डाई से अलग किया गया था. 1800 के आसपास इसे सर्वप्रथम बादाम से निकाला गया था.
- रिपोर्ट्स बताती हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों ने गैस चैंबरों में नरसंहार के लिए साइनाइड का इस्तेमाल किया था.
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