Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के बयान पर सेना भड़क उठी है. फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में सेना और आतंकवादियों की मिलीभगत का आरोप लगाया है. इस पर सेना मुख्यालय के सूत्रों ने भी फारूक अब्दुल्ला के बयान पर आपत्ति दर्ज की है. सेना मुख्यालय के अनुसार, इस स्तर की बयानबाजी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक है. ये पूरी तरह से निराधार है. इसमें तथ्यों का अभाव है. ये उन बहादुर पुरुषों और महिलाओं के लिए काफी अपमानजनक है. हम अपने देश की रक्षा के लिए जान को जोखिम में डालते हैं.
ये भी पढे़ं: बांग्लादेश में तख्तापलट से भारत को बड़ा खतरा, आतंकी संगठन सक्रिय, ISI ने रचि साजिश
जम्मू-कश्मीर के हालात में बड़ा सुधार
सेना मुख्यालय के सूत्रों के अनुसार, भारतीय सेना मजबूती के संग सीमा की रक्षा करने में लगी है. देश की सीमाओं की सुरक्षा को उसका गौरवशाली इतिहास रहा है. कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर के हालात में बड़ा सुधार देखा जा रहा है.
ये हैं घुसपैठ के आंकड़े
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में, 'आतंकवादियों की घुसपैठ के 219 बार प्रयास हुए थे. मगर सेना के अथक प्रयास से बीते साल यह संख्या घटकर सिर्फ 48 रह गई. इस साल ये शून्य पर आ चुकी हैं. 2017 में घुसपैठ की घटना एकमात्र थी. 2023 में 17 घुसपैठ के प्रयास को पूरी तरह से नाकाम किया गया है.
सीमाओं को सुरक्षाबलों ने बहुत सुरक्षित कर दिया है
सेना का कहना है कि फारूख अब्दुल्ला की टिप्पणी राजनीति प्रेरित है. सच तो ये है कि हमारी सीमाओं को सुरक्षाबलों ने बहुत सुरक्षित कर दिया है. इस मामले में शीर्ष सैन्य सूत्रों का कहना है कि सीधी निगरानी वाली जगहों पर घुसपैठ के प्रयास सफल नहीं हो सके हैं. ये मिलीभगत के हालिया दावों को पूरी तरह से नकारती है.