(रिपोर्ट - मोहित बक्शी)
झारखंड और महाराष्ट्र का चुनाव अपने शबाब पर है सभी पार्टियां अपनी एडी चोटी का ज़ोर लगा रही है। भाजपा के स्टार प्रचारक और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिया नारा कटेंगे तो बंटेंगे इस बार भाजपा का कैंपेन बन गया है ।योगी आदित्यनाथ के इस नारे का प्रयोग झारखंड और महाराष्ट्र के चुनावों में तो हो ही रहा है इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में भी ये नारा सुनाई देने के साथ साथ बड़े बड़े पोस्टर्स में लिखा हुआ दिखाई भी दे रहा है। अब ऐसे में भाजपा का ये फॉर्मूला अगर इन राज्यों में चला तो यक़ीनन 2 महीने बाद होने वाले दिल्ली चुनावों में ये भी ये नारा गूंजता हुआ सुनाई देगा।
सूत्रों की माने तो आम आदमी पार्टी का दिल्ली में जीत का रथ चौथी बार फतह हासिल ना कर सके इसके लिए भाजपा ने इसकी तैयारी करनी भी शुरू कर दी है। वहीं दिल्ली का चुनाव आप पार्टी के लिए करो या मरो का चुनाव है इसलिए आम आदमी पार्टी के मुखिया भाजपा के हार्डकोर हिन्दुत्व के एजेंडे को भी चोट देने की कोशिश में जुटे है यही वजह है की जेल से बाहर आने के बाद से आप प्रमुख अब तक वैष्णो देवी की यात्रा करने से लेकर दिल्ली के हनुमान मंदिर में पूजा और हवन के लिए कई बार पहुंच चुके है।
14 नवंबर को दक्षिण भारत जाएंगे अरविंद केजरीवाल
आगामी 14 नवंबर को भी अरविंद केजरीवाल परिवार के साथ दक्षिण भारत स्थित तिरुपति मंदिर में माथा टेकते नजर आयेगे । सियासी पारा चढ़ा हुआ हो और ऐसे मुद्दे पर राजनीतिक बयान बाजी ना हो ऐसा तो संभव ही नजर नहीं आता । यही वजह है की अरविंद केजरीवाल का मंदिर मंदिर जाना राजनीतिक दलों को अखर रहा है. भाजपा के विधायक अभय वर्मा इसे एक भक्त की भक्ति नहीं बल्कि चुनावी भक्ति करार दे रही हैं।
वार-पलटवार जारी
अभय वर्मा एक तरफ योगी आदित्यनाथ के दिए नारे की तारीफ कर रहे हैं तो वही आम आदमी पार्टी को चुनाव के समय मंदिर जाने ओर मीडिया में इसकी चर्चा करवाने पर कोस रहे हैं। भाजपा ने अरविंद केजरीवाल की भक्ति पर सवाल उठाए तो आम आदमी पार्टी कैसे पीछे रहती।
आप के मुखिया पर भाजपा के इस हमलावर तेवर पर आम आदमी पार्टी के दिल्ली मुखिया गोपाल राय ने भाजपा को एजेंडा विहीन पार्टी करार दे दिया। गोपाल राय का कहना है की उनकी पार्टी काम की राजनीति करती है और पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपनी आस्था के अनुसार भक्ति । लेकिन भाजपा के बयान को भाजपा की बेचैनी करार दिया।
दिल्ली में बीते दो चुनावों का आंकड़े
2014 के लोकसभा चुनावों से लेकर 2019 और 2024 तक के लोकसभा चुनावों में भाजपा को दिल्ली में हर बार 50% से अधिक वोट हासिल करने में कामयाबी मिली है और भाजपा की जीत एक तरफा रही लेकिन इसके उलट दिल्ली विधानसभा चुनावों में 2015 ओर 2020 में आप ने एक तरफा जीत हासिल की थी, ऐसे में अब भाजपा दिल्ली के लिए हर वो सियासी दांव को दिल्ली में आजमाने की कोशिश करेगी जो अन्य राज्यों में उसकी जीत की कुंजी बना है लेकिन इसके उलट आम आदमी पार्टी भी अपने दिल्ली के किले को ढहने से बचाने के लिए इस बार कोई कोर कसर छोड़ने वाली नहीं है।