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बड़ा फैसला! बांग्लादेश को महंगी पड़ेगी भारत से दुश्मनी, दाने-दाने को हो जाएगा मोहताज, सरकार रद्द करने जा रही है ये समझौता

India Bangladesh Controversy: इन दिनों भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में बेहद खटास आ गई है. जहां बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पहले से स्वीकृत बैंडविड्थ ट्रांजिट समझौते को रद्द कर दिया. वहीं भारत भी अब कड़े एक्शन के मूड़ में दिख रहा है.

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Sunder Singh
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India Bangladesh Controversy: इन दिनों भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में बेहद खटास आ गई है. जहां बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पहले से स्वीकृत बैंडविड्थ ट्रांजिट समझौते को रद्द कर दिया. वहीं भारत भी अब कड़े एक्शन के मूड़ में दिख रहा है. यदि भारत भी समझौते को तोड़ता है तो वहां के लोग भूखे मर जाएंगे. क्योंकि गेंहूं, चीनी, चावल चने से लेकर प्याज, आलू लगभग 100 प्रकार की खाने-पीने की चीजें बांग्लादेश में भारत से ही भेजी जाती है. बताया जा रहा है कि अब भारत की सरकार भी आर-पार के मूड़ में है. हालाकि भारत के सामने बांग्लादेश कहीं नहीं टिकता है. लेकिन उसके बावजूद भी अब मोदी सरकार कड़ा रुक अपना सकती है.. 

रोटी तक के लिए हो जाएंगे मोहताज

दरअसल, बांग्लादेश, भारत से हर साल ढेर सारा गेहूं आयात करता है. साल 2021-22 की बात करें तो इस साल भारत से बांग्लादेश निर्यात किए जाने वाले गेहूं की वैल्यू 119.16 करोड़ डॉलर थी. वहीं, 2020-21 में गेहूं निर्यात का ये आंकड़ा 31.03 करोड़ डॉलर का था. यानी अगर भारत ने बांग्लादेश को गेहूं देना बंद कर दिया तो वहां के लोगों की थाली से रोटी गायब हो जाएगी. यानि लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हो जाएंगे. उनके यहां खाने के लिए मांस के अलावा कुछ नहीं बचेगा. इसके अलावा चावल, चीनी आदि भी बांग्लादेश भारत से ही आयात करता है. यदि भारत ये समझौता तोड़ देता है तो वहां की जनरेशन भूखी मरने को तैयार हो जाएगी. 

चावल भी हो जाएगा गायब

गेहूं के अलावा बांग्लादेश के लोग चावल के लिए भी तरसेंगे. दरअसल, भारत से बांग्लादेश में निर्यात की जाने वाली तीसरी सबसे ज्यादा चीज चावल है. साल 2021-22 में कुल 61.39 करोड़ डॉलर के चावल बांग्लादेश में निर्यात किए गए थे. यानी अगर भारत और बांग्लादेश के बीच स्थिति खराब हुई तो इसका असर वहां के लोगों की थाली में मौजूद चावलों पर भी पड़ेगा. आपको बता दें कि साल 2021-22 में भारत से बांग्लादेश करीब 56.59 करोड़ डॉलर की चीन का निर्यात हुआ. वहीं, 2020-21 में ये आंकड़ा 7.47 करोड़ डॉलर का था. इससे साफ है कि अगर भारत ने बांग्लादेश को चीनी भेजना बंद कर दिया तो वहां के लोगों को मिठाई तो नसीब हो गई नहीं. 

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