Supreme Court Decision: (रिपोर्ट- सुशील पांडेय) सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हल्के मोटर वाहन ड्राइविंग लाइसेंस रखने वालों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली संविधान पीठ ने हल्के मोटर वाहन का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले व्यक्तियों को 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन को चलाने का फैसला सुनाया.
कोर्ट ने कहा कि ऐसे कोई आंकड़े फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं जिससे यह साबित हो सके कि देश में सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि के लिए एलएमवी लाइसेंस धारक जिम्मेदार हैं. जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने चीफ जस्टिस सहित चार जजों की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मुद्दा हल्के मोटर वाहन लाइसेंस धारकों वाले चालकों की आजीविका से संबंधित है.
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चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनाया फैसला
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ इस पर फैसला सुनाया. यह कानूनी सवाल दुर्घटना मामलों में बीमा कंपनियों की तरफ से मुआवजे के दावों के विवादों का कारण बन रहा था जिनमें एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस धारकों की तरफ से ट्रांसपोर्ट वाहन चलाए जा रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट में बीमा कंपनियों ने दी थी दलील
बीमा कंपनियों का सुप्रीम कोर्ट में कहना है कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण और अदालतें उनके आपत्तियों की अनदेखी करते हुए उन्हें बीमा दावे का भुगतान करने के आदेश दे रही हैं. बीमा कंपनियों का कहना है कि अदालतें बीमा विवादों में बीमाधारकों के पक्ष में फैसला ले रही हैं.
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बेंच ने सुरक्षित रखा था फैसला
जस्टिस हृषिकेश रॉय, पी एस नरसिम्हा, पंकज मिथल और मनोज मिश्रा वाली बेंच ने इस मामले पर 21 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जब केंद्र के वकील, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा था कि मोटर वाहन ( MV) अधिनियम, 1988 में संशोधन पर विचार-विमर्श लगभग पूरा हो चुका है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है और इसलिए कोर्ट ने इस मामले को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया. क्या लाइट मोटर व्हीकल के ड्राइविंग लाइसेंस धारक को 7,500 किलोग्राम तक वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहन को चलाने का अधिकार है यही कानूनी सवाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
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बता दें कि यह सवाल 8 मार्च 2022 को तीन-सदस्यीय पीठ की तरफ से संविधान बेंच को भेजा गया था, जिसमें जस्टिस यूयू ललित (अब सेवानिवृत्त) शामिल थे. यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के 2017 के मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मामले से उठा था. मुकुंद देवांगन मामले में अदालत ने कहा था कि 7,500 किलोग्राम तक वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहन को एलएमवी की परिभाषा से बाहर नहीं किया गया है.
बीमा कंपनी ने दाखिल की थी याचिका
इस फैसले को केंद्र सरकार ने स्वीकार किया और मोटर वाहन अधिनियम के नियमों को इस निर्णय के अनुरूप संशोधित किया गया. 18 जुलाई को संविधान पीठ ने इस कानूनी सवाल पर 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की. मुख्य याचिका बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी. मोटर वाहन अधिनियम कई प्रकार के वाहनों के लिए अलग-अलग लाइसेंस देने के प्रावधान करता है. मामले को बड़ी बेंच को भेजते समय कहा गया कि कुछ कानूनी प्रावधानों को मुकुंद देवांगन निर्णय में ध्यान नहीं दिया गया था और इस विवाद का पुनः विचार आवश्यक है.