Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला ट्रेनी डॉक्टर रेप मर्डर केस में घिरी ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है. इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को एक और पत्र लिख कर इस मामले में हस्तक्षेत्र करने की मांग की. इसके साथ ही ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को दिखे पत्र में उनके पहले पत्र का जवाब न देने का भी आरोप लगाया. जिसपर अब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जवाब दिया है. ममता बनर्जी के पत्र के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने पत्र में तथ्यात्मक गलती बताते हुए सीएम ममता की कड़ी आलोचना की है.
ममता बनर्जी को केंद्रीय मंत्री का करारा जवाब
केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दिए जवाब में कहा है कि इस पत्र का उद्देश्य राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC) के संचालन में हुई देरी को छिपाना है. उन्होंने आगे कहा कि, "इस संबंध में आपके पत्र में दी गई जानकारी तथ्यात्मक रूप से गलत है और यह राज्य द्वारा एफटीएससी के संचालन में देरी को छिपाने की दिशा में एक कदम प्रतीत होता है."
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उन्होंने सीएम ममता के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि, "पश्चिम बंगाल में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट और विशेष पॉक्सो कोर्ट की स्थिति के बारे में आपने जो बताया है, वह मुझे कलकत्ता उच्च न्यायालय से प्राप्त जानकारी से अलग लगता है." उन्होंने कहा कि, पश्चिम बंगाल ने 88 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए हैं, जो केंद्र सरकार की योजना के तहत आने वाले फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट के समान नहीं हैं. केंद्रीय मंत्री ममता बनर्जी के पत्र का जवाब देते हुए इस बात का भी जिक्र किया कि, 48,600 लंबित मामले होने के बाद भी पश्चिम बंगाल ने बलात्कार और पोक्सो मामलों से निपटने के लिए अतिरिक्त फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों का संचालन नहीं किया है.
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सीएम ममता ने प्रधानमंत्री से की थी मामले में हस्तक्षेप की मांग
बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा. इस पत्र में उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए पहले ही जरूरी कदम उठाए हैं. इनमें 88 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट और 62 पॉक्सो अदालतों के साथ-साथ बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए 10 विशेष अदालतों की स्थापना भी शामिल है. ममता ने अपने पत्र में लिखा कि सभी अदालतें राज्य की ओर से चलाई जा रही हैं. इसके साथ ही उन्होंने कोलकाता मामले में पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने और इन अदालतों में स्थायी न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति करने की अनुमति मांगी थी.
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