मदरसा व्यवस्था के नाम पर बच्चों के साथ बहुत बड़ा छल हो रहा है. वहां स्कूलों जैसे कोई माहौल नहीं है...यह कहना है प्रियंक कानूनगो का. कानूनगो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के पूर्व अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि मदरसा बोर्ड से संबंधित मदरसों में एनसीईआरी की किताबें तक नहीं पढ़ाई जाती हैं.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की मदरसों पर एक रिपोर्ट है- 'गार्जियन ऑफ फेथ आर ओप्रेसस ऑफ राइट्स' कांस्टीट्यूशनल राइट्स ऑफ चिल्ड्रेन वर्सेस मदरसा' यह इन दिनों बहुत चर्चा में हैं. रिपोर्ट 69 पेजों की है. इसमें मदरसों के आरंभ से लेकर मौजूदा हालात का जिक्र है.
मुस्लिम समाज के चार प्रतिशत बच्चे मदरसे में
आयोग के पूर्व अध्यक्ष ने एक मीडिया चैनल को बताया कि मदरसों के संचालन में श्वेत श्याम जैसा कुछ नहीं है. यह आजादी के पहले से है. मुस्लिम समाज के चार प्रतिशत बच्चे मदरसे में हैं. देश के अधिकतर मदरसों में आधारभूत संचरना और सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं, जैसे- क्लास, ब्लैकबोर्ड, बेंच, मैदान, शौचालय, पुस्तकालय और योग्य शिक्षक. कानूनगो ने बताया कि अधिकतर मदरसे वक्फ बोर्ड से संबद्धित हैं. वक्फ बोर्ड का अकादमिक गतिविधियों से कोई नाता नहीं है. देश के सिर्फ आठ राज्यों में मदरसा बोर्ड है, बाकि राज्यों में कैसे मदरसे संचालित हो रहे हैं, यह सवाल है.
कई चौंकाने वाले खुलासे
असल में मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं. सरकार भी उनके बारे में जानकारी रखना ही नहीं चाहती. यह देखने वाला भी कोई नहीं है कि मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है. बोर्ड से संबंधित मदरसों में भी एनसीईआरटी नहीं पढ़ाई जातीं. रंगीन चित्र वाली किताबें भी वहां नहीं होती हैं. वहां हिल-हिल कर याद करना होता है और सजा में बच्चों को छड़ी से मारा जाता है. कानूनगो ने मदरसे के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.
करदाताओं के पैसों से पाकिस्तान से मंगाई जाती है किताबें
काफिर को मुक्ति नहीं बल्कि सजा मिलेगी, यह किताब मदरसो में बच्चों को पढ़ाई जाती है. यह पाकिस्तान से छपवाकर यहां मंगाई जाती है. देश के करदाताओं के पैसों से पाकिस्तान में छपी किताबें भारत आती है और मदरसों में उन्हें पढ़ाया जाता है. खास बता है कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू भी ऐसी ही किताबें पढ़ाई जाती है.