China Taiwan Conflict: चीन और ताइवान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंध रहे हैं जो अब और भी ज्यादा बढ़ गए हैं, जब चीन ने ताइवान के आसपास अभूतपूर्व सैन्य अभ्यास किया. इस अभ्यास के तहत चीन ने रिकॉर्ड 125 युद्धक विमान तैनात किए, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे फिर से सुर्खियों में आ गए हैं. चीन की इस कार्रवाई को ताइवान के खिलाफ कड़ा संदेश माना जा रहा है, जबकि ताइवान ने इसे सीधे तौर पर अपनी संप्रभुता और सुरक्षा पर हमला बताया है.
यह भी पढ़ें : बाबा सिद्दीकी की हत्या से मचा सियासी बवाल, जानें कैसे शूटरों ने बनाया था ये मास्टरमाइंड प्लान
ताइवान के प्रति चीन की आक्रामकता
आपको बता दें कि चीन जो ताइवान को एक अलग प्रांत के रूप में देखता है, लंबे समय से ताइवान पर नियंत्रण की आकांक्षा रखता है. हालांकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानता है, लेकिन चीन उसे बलपूर्वक एकीकृत करने के लिए बार-बार धमकी देता रहा है. हाल के महीनों में, चीन की ओर से ताइवान के आसपास की सैन्य गतिविधियों में तेज़ी आई है, जो दोनों देशों के बीच भविष्य में संभावित संघर्ष के संकेत दे सकती है.
वहीं आपको बता दें कि यह सैन्य अभ्यास तब हो रहा है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय चीन के इस कदम को करीब से देख रहा है. अमेरिका और उसके सहयोगियों ने ताइवान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, जिससे यह मुद्दा एक वैश्विक चिंता का विषय बन गया है. चीन ने ताइवान के खिलाफ किए गए अपने इस सैन्य अभ्यास को अनिवार्य कदम करार दिया है, जिसे वह ताइवान की स्वतंत्रता की ओर बढ़ती गतिविधियों को रोकने के लिए आवश्यक मानता है.
अभूतपूर्व सैन्य प्रदर्शन
साथ ही आपको बताते चले कि चीन का यह सैन्य अभ्यास कई मायनों में अलग और उल्लेखनीय है. यह पहली बार है जब चीन ने एक ही समय में इतनी बड़ी संख्या में युद्धक विमानों को ताइवान के आसपास तैनात किया है. इन विमानों में अत्याधुनिक तकनीक से लैस लड़ाकू विमान, बमवर्षक और निगरानी विमानों की भरमार थी. इसके अलावा, चीन ने अपनी नौसेना और मिसाइल बलों को भी इस अभ्यास में शामिल किया, जिससे ताइवान पर संभावित सैन्य कार्रवाई की तैयारियों का संकेत मिला. वहीं चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने इस अभ्यास को 'ताइवान की स्वतंत्रता के प्रति चुनौती' और 'राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा' के रूप में प्रस्तुत किया। PLA के अनुसार, यह अभ्यास भविष्य में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए चीन की सैन्य क्षमता और तत्परता को प्रदर्शित करता है.
अंतरराष्ट्रीय रिएक्शन
इसके अलावा आपको बता दें कि चीन के इस कदम के बाद वैश्विक प्रतिक्रिया भी आई है. अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने चीन की इस सैन्य कार्रवाई की निंदा की है और ताइवान के प्रति अपने समर्थन की घोषणा की है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने चीन के इस कदम को 'अनावश्यक उकसावे' के रूप में वर्णित किया और कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अस्थिरता को बढ़ावा देती हैं. वहीं बता दें कि यूरोपीय संघ ने भी चिंता व्यक्त की है और कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखना सभी के लिए महत्वपूर्ण है. चीन की आक्रामक नीतियों के कारण क्षेत्रीय संतुलन और वैश्विक कूटनीति पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.
ताइवान की आई रिएक्शन
इसके साथ ही आपको बता दें कि ताइवान ने भी इस स्थिति में अपने रुख को स्पष्ट किया है. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने चीन की इस गतिविधि की आलोचना करते हुए कहा कि ताइवान की सेना सतर्क है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ताइवान के प्रति अधिक समर्थन की अपील की है, ताकि वह चीन के बढ़ते खतरों का सामना कर सके.