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भारतीय सेना के टॉप कमांडरों का सम्मेलन, इजरायल, लेबनान और ईरान वॉर से लेगी सीख

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गंगटोक में आयोजित पहले चरण में मुख्य भाषण देंगे और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से उभरती सुरक्षा चुनौतियों पर जानकारी लेंगे.

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Mohit Sharma
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Conference of top commanders of Indian Army
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(रिपोर्ट- मधुरेंद्र कुमार)

भारतीय सेना अपने कमांडरों का दूसरा सम्मेलन आयोजित कर रही है. लेबनान में पेजर ब्लास्ट, इजरायल पर ईरान के  मिसाइल अटैक और दुनिया भर में युद्ध के बदलते स्वरूप को देखते हुए यह सम्मेलन बेहद अहम माना जा रहा है जिसमे भारतीय सेना के टॉप कमांडर अपनी वॉर स्ट्रेटजी की समीक्षा और चर्चा करेंगे. अक्टूबर में दो चरणों में यह सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. पहला चरण 10-11 अक्टूबर को गंगटोक, सिक्किम के अग्रिम मोर्चे पर और दूसरा चरण 28-29 अक्टूबर को दिल्ली में होगा. इस सम्मेलन में देश की वर्तमान सुरक्षा चुनौतियों और सेना की तैयारियों पर गहन चर्चा इसलिए भी काफी मायने रखती है क्योंकि LAC पर चीन के साथ सैन्य तनाव बरकरार है वहीं पाक सीमा पर आतंकवाद लगातार बढ़ता जा रहा है.

राजनाथ सिंह गंगटोक में आयोजित पहले चरण में मुख्य भाषण देंगे

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गंगटोक में आयोजित पहले चरण में मुख्य भाषण देंगे और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से उभरती सुरक्षा चुनौतियों पर जानकारी लेंगे. यह सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा है जब देश के सामने कई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियाँ भी हैं, और इसका आयोजन एक अग्रिम क्षेत्र में करना इस बात का संकेत है कि भारतीय सेना जमीनी हकीकतों पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

वरिष्ठ कमांडर राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे

सम्मेलन के पहले चरण में वरिष्ठ कमांडर राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे और भारतीय सेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए रणनीतिक पहलुओं पर मंथन करेंगे. इस चर्चा में नागरिक-सैन्य समन्वय और कूटनीतिक, सूचनात्मक, सैन्य, और आर्थिक (DIME) स्तंभों के साथ एक बहुआयामी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. साथ ही, तेजी से बदलते युद्ध के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए, कम लागत वाली तकनीकों और वैकल्पिक रणनीतियों पर विचार किया जाएगा. तकनीकी उन्नति को ध्यान में रखते हुए, सम्मेलन में सैन्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी के समावेश पर विचार किया जाएगा और विशेष विशेषज्ञों की भर्ती की संभावनाओं पर चर्चा होगी. इसके अलावा, संगठनात्मक प्रक्रियाओं को अधिक मजबूत और संवेदनशील बनाने पर भी विचार किया जाएगा.

परिचालन मामलों पर गहन मंथन किया जाएगा

दूसरे चरण में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा के साथ ही परिचालन मामलों पर गहन मंथन किया जाएगा. इसके बाद, सेना के जवानों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की वित्तीय सुरक्षा के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकों में चर्चा की जाएगी. इस चरण में सेना प्रमुखों को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी संबोधित करेंगे. यह सम्मेलन भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के संकल्प को पुनः सुदृढ़ करता है कि सेना हमेशा तैयार, अनुकूल और भविष्य के लिए सक्षम बनी रहेगी. यह सम्मेलन इस मायने में काफी ऐतिहासिक बताया जा रहा है.

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