(रिपोर्ट- सैय्यद आमिर हुसैन)
ईरान इज़राइल के बीच जंग में भारत की अर्थवयवस्था पर प्रभाव को लेकर आर्थिक जगत में इसे दूरगामी प्रभाव और एक मौके के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन रेड सी से भारत और यूरोप, अमेरिका अफ्रीका और वेस्ट एशिया के बीच शिपिंग से आने वाले इम्पोर्ट पर असर देखा जा रहा है. लाल सागर और सुएज कनाल से गुजरने वाले जहाज़ों से एक साल में 400 बिलियन ट्रेड होता है लेकिन इस छेत्र में काफी टेंशन के चलते ट्रेड इम्पोर्ट एक्सपोर्ट में दिक्कत आई है.
भारत और ईरान के बीच ट्रेड में काफी कमी दर्ज की गई
वहीं 2023-24 में भारत और ईरान के बीच ट्रेड में काफी कमी दर्ज की गई है. 2022-23 में दोनों देशों के बीच जो व्यापार 10.77 बिलियन डॉलर का हुआ करता था वो ईरान इज़राइल के बीच अक्टूबर 2023 के बाद 2023-24 वित्तवर्ष में 6.53 बिलियन डॉलर रह गया. कच्चे तेल की कीमतों में भी इज़ाफ़ा देखा जा रहा है. ईरान ने इज़राइल पर किये बैलेस्टिक मिसाइल हमले ने टेंशन बढ़ा दी, जिसका असर भारत पर भी पड़ा है जो क्रूड आयल 70$ प्रति बैरल पर था वो बढ़कर 80$ प्रति बैरल पर जा पहुंचा है.
क्रूड की कीमतों में और इजाफा होने की उम्मीद
अभी क्रूड की कीमतों में और इजाफा होने की उम्मीद है, जिससे भारत के इम्पोर्ट बिल पर इसका असर देखा जा सकता है. इसके साथ बड़ी मात्रा में चावल और चाय निर्यात करता है. भारत, 2023-24 में भारत ने ईरान को 680 मिलियन डॉलर का बासमती चावल निर्यात किया था. भारत अपने यहाँ बासमती चावल का 19 फ़ीसदी हिस्सा निर्यात करता है. 2023-24 में भारत ने इज़राइल को 32 मिलियन डॉलर चाय निर्यात की थी और ईरान से भारत सन फ्लावर आयल आयात करता है. इस टेंशन से निर्यात आयात में वस्तुओं की कीमतें बढ़ने की उम्मीद है.