INS Tushil: भारत अपनी तीनों सेनाओं- थल सेना, वायु सेना और नौसेना की लगातार ताकत बढ़ा रहा है. इसी कड़ी में गाइडेड मिसाइल युद्धपोत आईएनएस तुशील को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है. इससे न सिर्फ भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा होगा बल्कि ये हिंद महासागर में भी चीन के खिलाफ एक मारक हथियार साबित होगा.
इस युद्धपोत का निर्माण और डिजाइन रूस में की गई है. सोमवार को इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और अन्य वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों इस मौके पर उपस्थित रहे. इस जहाज को रूस के तटीय शहर कैलिनिनग्राद से भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया.
ये भी पढ़ें: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा का निधन, 92 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
Delighted to attend the Commissioning Ceremony of #INSTushil, the latest multi-role stealth-guided missile frigate, at the Yantar Shipyard in Kaliningrad (Russia).
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 9, 2024
The ship is a proud testament to India’s growing maritime strength and a significant milestone in long-standing… pic.twitter.com/L6Pok31wQJ
नौसेना की ताकत में होगा इजाफा
रूस निर्मित युद्धपोत आईएनएस तुशिल के भारतीय नौसेना में शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की परिचालन क्षमता बढ़ जाएगी. क्योंकि पिछले कुछ सालों से इस इलाके में चीनी नौसेना की कार्रवाई देखने को मिली है. इसलिए चीन के विरुद्ध ये युद्धपोत किसी मारक हथियार के रूप में काम करेगा. बता दें कि इस युद्धपोत को रूस के साथ साल 2016 में हुए 250 करोड़ डॉलर के सौदे के तहत भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है. इस सौदे में भारत को चार टोही युद्धपोत मिलने हैं जिसमें से एक भारतीय नौसेना को मिल चुका है. बाकी तीन युद्धपोत आने वाले दिनों में नौसेना की ताकत में इजाफा करेंगे.
ये भी पढ़ें: PM Kisan yojna: खुशखबरी के आदेश से झूमे किसान, हर खाते में जमा होंगे पूरे 7000 रुपए! फाईल हुई तैयार
दो युद्धपोतों का भारत में ही होगा निर्माण
इस सौदे के तहत दो युद्धपोतों का निर्माण रूस में किया जा रहा है, जबकि दो युद्धपोत भारत में ही बनाए जाएंगे. आईएनएस तुशील के नौसेना में शामिल करने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह युद्धपोत समुद्र में भारत की बढ़ती क्षमता का गौरवपूर्ण क्षण होने के साथ रूस के साथ दीर्घकालिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
उन्होंने कहा कि यह जहाज रूसी और भारतीय उद्योगों के सहयोगात्मक कौशल का बड़ा सबूत है. रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि भारत और रूस एआई, साइबर सिक्योरिटी, अंतरिक्ष खोज और आतंकरोधी क्षेत्रों में एक-दूसरे की विशेषज्ञता से फायदा लेते हुए सहयोग के एक नए दौर में पहुंचेंगे.
ये भी पढ़ें: आफत का अलर्ट! घरों में कैद होने की कर लो तैयारी, हफ्तेभर दिखेगा मौसम का रौद्र रूप, सड़कें हो जाएंगी सूनी
ये हैं आईएनएस तुशील की खूबियां
ये युद्धपोत रूसी जहाजों के क्रिवाक श्रेणी की तीसरी पीढ़ी का अत्याधुनिक युद्धपोत है. जिसमें यूक्रेन के जोर्या नाशप्रोएक्ट का इंजन लगाया गया है. इसका कोड नेम प्रोजेक्ट 1135.6 रखा गया है. यह युद्धपोत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस है. इस पर वर्टिकल लांच वाली लंबी रेज की सरफेस-टू-एयर मिसाइलें लगाई गई हैं. जो हवा और सतर में मार करने वाली मध्यम रेज की अत्याधुनिक मिसाइलें हैं.
यही नहीं रडार से बचने के अत्याधुनिक फीचर्स भी इस युद्धपोत की खूबियों में शामिल हैं. इस पर नजदीक के निशानों के लिए आप्टिकली-कंट्रोल्ड रैपिड फायर गन का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही एंटी सबमरीन टारपीडो और राकेट भी इस युद्धपोत की ताकत बढ़ाते हैं. इसमें अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और कम्युनिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है. ये एडवांस्ड गैस टर्बाइन प्रपलशन प्लांट से लैस है. ये युद्धपोत समुद्र में 30 नाट तक की रफ्तार में जाने में सक्षम है.