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डिसेंगेजममेंट के बावजूद चीन पर नहीं है भारत को भरोसा, LAC पर तीनों सेनाओं ने किया युद्धाभ्यास

चीन को किसी भी कीमत पर भारत हल्के में लेना नहीं चाहता है. यही वजह है कि LAC पर अपने कदम पीछे करने के बाद भी ड्रैगन को लेकर भारत अब भी चौकन्ना है.

Dheeraj Sharma और Madhurendra Kumar
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LAC पर लद्दाख में भले हीं चीन ने डिसेंगेजममेंट कर भारत के साथ सैन्य तनाव कम करने का काम किया है लेकिन भारतीय सेनाओं को चीन की नीति और नीयत पर कतई भरोसा नहीं। इसलिए एक तरफ ईस्टर्न लद्दाख में डिसेंगेजमेंट के बाद पेट्रोलिंग बहाल हो रही है लेकिन दूसरी तरफ अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगे LAC पर तीनों सेनाओं का संयुक्त अभ्यास पूर्वी प्रहार के नाम से चल रहा है। इस वॉर एक्सरसाइज का उद्देश्य है सेनाओं को ऑपरेशनल रेडी रखना।

चीन के खिलाफ इस वॉर एक्सरसाइज का मकसद

भारतीय सेना ने 10 से 18 नवंबर 2024 के बीच अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम क्षेत्रों में उच्च-स्तरीय तीनों सेनाओं का संयुक्त अभ्यास "Ex Poorvi Prahar" शुरू किया है। इस बड़े पैमाने पर आयोजित अभ्यास का उद्देश्य चुनौतीपूर्ण पर्वतीय इलाके में भारतीय थल सेना, नौसेना, और वायु सेना की एकीकृत संयुक्त ऑपरेशन क्षमताओं को निखारना और सेवाओं के बीच समन्वय को सशक्त बनाना है।

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वॉर एक्सरसाइज प्रयोग हो रहे हथियार 

अभ्यास में अत्याधुनिक सैन्य प्लेटफार्म और प्रणालियाँ शामिल की गई हैं, जो आधुनिक युद्ध तकनीकों में भारत की प्रगति को दर्शाते हैं। इसमें तीनों सेनाओं की भागीदारी देखी जा रही है, जिसमें उन्नत फाइटर विमान, टोही प्लेटफार्म, चिनूक और एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (रुद्र) जैसे हेलीकॉप्टर और नए शामिल किए गए M777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर जैसे हथियार शामिल हैं। इन अत्याधुनिक उपकरणों से इस क्षेत्र की चुनौतीपूर्ण स्थलाकृति में उच्च स्तर की गतिशीलता, मारक क्षमता और सटीकता प्राप्त होती है।

मॉडर्न वारफेयर की तैयारी

"Ex Poorvi Prahar" का मुख्य आकर्षण नवीन तकनीकों का एकीकृत उपयोग है और फ्यूचर वारफेयर की तैयारी। इस अभ्यास में सैनिक स्वार्म ड्रोन, फर्स्ट पर्सन व्यू (FPV) ड्रोन और लुटेरिंग म्यूनिशन जैसी तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं, जो स्थितिजन्य जागरूकता, सटीक हमलों और संचालन में लचीलापन बढ़ाने में सहायक हैं। इन तकनीकों का समावेश इस बात को दर्शाता है कि भारतीय सेना आधुनिक तकनीकों के साथ अपने रक्षा क्षमताओं को लगातार मजबूत कर रही है।

प्रौद्योगिकी और सामरिक समन्वय

इस अभ्यास का एक प्रमुख उद्देश्य विभिन्न सेवाओं के बीच तकनीकी उपकरणों और संयुक्त कमांड संरचनाओं का उपयोग कर समन्वय को बढ़ावा देना है। अभ्यास में उपग्रह संचार और एआई-प्रेरित विश्लेषण द्वारा संचालित संयुक्त नियंत्रण ढांचे के माध्यम से एक सामान्य ऑपरेटिंग तस्वीर (COP) तैयार की जा रही है। इसके माध्यम से जमीन, वायु और नौसेना बलों के बीच रीयल-टाइम जानकारी का आदान-प्रदान होता है, जो निर्णय प्रक्रिया को अधिक सटीक और प्रतिक्रियाशील बनाता है।

उपग्रह संचार और एआई तकनीक के समावेश से बहु-सेवा अभियानों का अनुकूलन किया जा रहा है, जिससे कमांडर को युद्धक्षेत्र का व्यापक और अद्यतन दृश्य प्राप्त होता है। यह समन्वित दृष्टिकोण भारतीय सेनाओं को बदलते युद्ध परिदृश्य के अनुरूप तेजी से प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाता है।

रक्षा स्थिति के प्रति प्रतिबद्धता

यह अभ्यास भारत के पूर्वी सीमांत पर एक मजबूत और लचीला रक्षा स्थिति बनाए रखने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है, खासकर क्षेत्रीय परिस्थितियों के बदलते रुझानों के मद्देनजर। "Ex Poorvi Prahar" के माध्यम से भारतीय सशस्त्र बल भूमि, वायु और समुद्री क्षेत्रों में निर्बाध, बहु-डोमेन ऑपरेशनों को संचालित करने की अपनी क्षमता को बढ़ा रहे हैं, जो भारत की रणनीतिक निवारक क्षमताओं को और मजबूत करता है।

भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना एकजुट होकर सैन्य उत्कृष्टता के क्षेत्र में अग्रणी बने रहने के लिए नए-नए तरीकों को अपनाते हुए देश की सुरक्षा चुनौतियों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

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