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भारत की रक्षा तैयारियों में तेजी लाने की जरूरत: डॉ जयशंकर बोले – तेजी से बदलते वैश्विक खतरों के प्रति सेना रहे सतर्क

डॉ. जयशंकर ने सेना नेतृत्व से कहा, "बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत को भारतीय सेना से बड़ी उम्मीदें हैं. उन्होंने भारतीय सेना की सतर्कता की सराहना करते हुए कहा कि "तेजी से बदलते भू-राजनीतिक खतरों और अवसरों के प्रति सजग रहते हुए सेना को तेजी से अनुकूलित होना होगा.

Mohit Sharma और Madhurendra Kumar
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dr S. Jaishankar

भारत की रक्षा तैयारियों में तेजी लाने की जरूरत: डॉ जयशंकर बोले – तेजी से बदलते वैश्विक खतरों के प्रति सेना रहे सतर्क

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सैन्य कमांडरों के सम्मेलन के दूसरे चरण का समापन आज नई दिल्ली में हुआ, जिसमें भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व ने सीमा और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा की. 28 और 29 अक्टूबर को आयोजित इस सत्र में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने प्रमुख रूप से संबोधित किया, जिसमें उन्होंने भारत के बदलते सामरिक परिदृश्य और वैश्विक परिवर्तनों के बीच भारतीय सेना की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया.

बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत को भारतीय सेना से बड़ी उम्मीदें हैं

डॉ. जयशंकर ने सेना नेतृत्व से कहा, "बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत को भारतीय सेना से बड़ी उम्मीदें हैं. उन्होंने भारतीय सेना की सतर्कता की सराहना करते हुए कहा कि "तेजी से बदलते भू-राजनीतिक खतरों और अवसरों के प्रति सजग रहते हुए सेना को तेजी से अनुकूलित होना होगा. उन्होंने इस चुनौतीपूर्ण समय में सेना की तैयारी और तत्परता पर बल दिया. अपने संबोधन में डॉ. जयशंकर ने जोर देकर कहा, "तकनीकी उन्नति और वैश्विक संघर्षों से मिले सबक भारतीय सामरिक रणनीति को मजबूत करेंगे. उन्होंने बताया कि कैसे हाल के वैश्विक घटनाक्रम और संघर्ष भारतीय सेना के लिए कई सीख लेकर आए हैं, जो रक्षा नीति और रणनीति को और सशक्त बनाएंगे. उन्होंने कहा कि "वर्तमान विश्व व्यवस्था की जटिलताओं में भारतीय सेना से एक ठोस तैयारी की अपेक्षा है.

भारतीय नौसेना की तत्परता पर चर्चा

सेना के शीर्ष अधिकारियों ने इस दो दिवसीय सम्मेलन में संचालन और प्रशासनिक मामलों पर गहन विचार-विमर्श किया. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल अनिल चौहान ने सम्मेलन के दौरान सेना की संयुक्तता और आधुनिकता की दिशा में उठाए जा रहे कदमों की रूपरेखा प्रस्तुत की. उन्होंने 'विजन 2047' के तहत सेना की तैयारियों, आधुनिकीकरण और सामरिक स्वायत्तता को मजबूती प्रदान करने के महत्व को रेखांकित किया. मुख्य नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तेजी से बदलती परिस्थितियों और भारतीय नौसेना की तत्परता पर चर्चा की, जबकि सम्मेलन के दौरान सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण और वित्तीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी विशेष चर्चा हुई.

भारतीय सेना की भविष्य की चुनौतियों और संभावनाओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाया

सम्मेलन का समापन विभिन्न श्रेणियों में सैन्य स्टेशनों को ग्रीन मिलिट्री स्टेशन और एविएशन फ्लाइट सेफ्टी के लिए पुरस्कार वितरण के साथ हुआ. पटियाला, बाग्राकोट, कन्नूर, और सूरतगढ़ सहित अन्य सैन्य स्टेशनों को पर्यावरणीय स्थिरता और सुरक्षा के प्रति उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया. इस सम्मेलन ने भारतीय सेना की भविष्य की चुनौतियों और संभावनाओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाया. विदेश मंत्री जयशंकर के संदेश के साथ, भारतीय सेना का नेतृत्व भविष्य की तैयारियों को और मजबूत करने और देश की सामरिक सुरक्षा में एक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए संकल्पित है.

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