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DRDO ने किया लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण, रूस, चीन और अमेरिका की सूची में शामिल हुआ भारत

Hypersonic Missile Test: भारत अपनी रक्षा और सैन्य ताकत में लगातार इजाफा कर रहा है. इस बीच भारत ने लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर उन चुनिंदा देशों की सूची में हो गया है, जिनके पास ये तकनीकी है.

Suhel Khan और Madhurendra Kumar
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भारत ने किया हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण (DRDO)

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Hypersonic Missile Test: भारत ने ओडिशा के तट से अपनी पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इस परीक्षण के साथ, भारत उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है जिनके पास हाइपरसोनिक तकनीक है. यह मिसाइल 1500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक पेलोड ले जाने में सक्षम है और इसे डीआरडीओ और उद्योग भागीदारों के सहयोग से स्वदेशी तकनीक पर विकसित किया गया है.

रूस, चीन और अमेरिका के पास है ये तकनीक

इस मिसाइल की उड़ान को कई रेंज सिस्टम्स द्वारा ट्रैक किया गया, और डेटा ने लक्ष्य पर उच्च सटीकता के साथ इसके प्रभाव को प्रमाणित किया. दुनिया में रूस, चीन और अमेरिका जैसे देश हाइपरसोनिक तकनीक में अग्रणी हैं, लेकिन भारत ने इस क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है.

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 2020 में हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का सफल परीक्षण किया गया था, जिसमें मैक 6 की गति प्राप्त की गई. और अब 16 नवंबर 2024 को भारत ने अपनी पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है.

ये उपलब्धि भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करती है जो इस उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे हैं और अपनी रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ कर रहे हैं. इसके साथ हीं भारत ने लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर दुनिया को अपनी दमदार ताकत का एहसास कराया है.

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बढ़ेगी भारत की सैन्य ताकत

इस हाइपरसोनिक मिसाइल ताकत से भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूती मिलेगी. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को बधाई दी. डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने इस मिशन में योगदान देने वाली पूरी टीम को सराहा.

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यह परीक्षण भारत की स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी को वैश्विक मानचित्र पर मजबूत स्थिति प्रदान करता है. भारत की यह सफलता न केवल उसकी रक्षा स्वायत्तता को बढ़ाती है, बल्कि सशस्त्र बलों की क्षमताओं में भी उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत है.

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