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नेक्स्ट जेन इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और रडार सिस्टम के लिए DRDO ने विकसित की स्वदेशी तकनीक, 5G से लेकर सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आयेगी क्रांति

GaN/SiC तकनीक अगली पीढ़ी के रक्षा, एयरोस्पेस और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने में सक्षम है. इस तकनीक से उत्पादों में उच्च दक्षता, छोटे आकार और हल्का वजन प्राप्त होता है, जिससे यह भविष्य के सैन्य सिस्टम, रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और ग्रीन एनर्जी के समाधान के लिए अनिवार्य बन जाती है.

Mohit Sharma और Madhurendra Kumar
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DRDO News in Hindi

नेक्स्ट जेन इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और रडार सिस्टम के लिए DRDO ने विकसित की स्वदेशी तकनीक

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नेक्स्ट जेन इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और रडार सिस्टम के लिए DRDO ने विकसित की स्वदेशी तकनीक. 5G से लेकर सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आयेगी क्रांति. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन अंतर्गत सॉलिड स्टेट फिजिक्स लेबोरेटरी ने इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. इस प्रयोगशाला ने 4-इंच व्यास के सिलिकॉन कार्बाइड  वेफर्स तैयार करने और 150 वॉट क्षमता वाले गैलियम नाइट्राइड  आधारित हाई इलेक्ट्रॉन मोबिलिटी ट्रांजिस्टर  और 40 वॉट तक की क्षमता वाले मोनोलिथिक माइक्रोवेव इंटीग्रेटेड सर्किट्स  बनाने में सफलता पाई है. यह तकनीक एक्स-बैंड फ्रीक्वेंसी तक की एप्लिकेशन में उपयोगी है.

स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने में सक्षम

GaN/SiC तकनीक अगली पीढ़ी के रक्षा, एयरोस्पेस और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने में सक्षम है. इस तकनीक से उत्पादों में उच्च दक्षता, छोटे आकार और हल्का वजन प्राप्त होता है, जिससे यह भविष्य के सैन्य सिस्टम, रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और ग्रीन एनर्जी के समाधान के लिए अनिवार्य बन जाती है. आधुनिक युद्ध प्रणालियों में हल्के और कॉम्पैक्ट पावर सप्लाई की बढ़ती मांग के चलते, GaN/SiC तकनीक संचार, खुफिया, मानवरहित प्रणाली और पुनःपर्यवेक्षण में उपयोगी है. सैन्य के साथ-साथ व्यावसायिक क्षेत्र में, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहन और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी यह तकनीक महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है.

‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य में मील का पत्थर

हैदराबाद स्थित  GAETEC में GaN/SiC पर आधारित MMIC का सीमित उत्पादन सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है. यह अत्याधुनिक MMIC अगली पीढ़ी की रणनीतिक प्रणालियों, अंतरिक्ष, एयरोस्पेस और 5G/सैटेलाइट संचार में व्यापक उपयोग की संभावनाएं रखता है. इस तकनीक का विकास भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य में मील का पत्थर साबित होगा, जिससे सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा.

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