Portable Anti-Tank Missile Test: जंग के मैदान में अब दुश्मन के टैंक भारतीय सुरक्षा बलों का मुकाबला नहीं कर पाएंगे. दरअसल, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को विकसित किया है. स्वदेशी रूप से विकसित इस एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का मंगलवार को डीआरडीओ ने सफल परीक्षण किया. डीआरडीओ के अधिकारियों के मुताबिक, ये परीक्षण राजस्थान के जैसलमेर में स्थित फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया.
कंधे से लॉन्च की जा सकती है ये मिसाइल
डीआरडीओ ने जिस एंटी टैंक मिसाइल को विकसित किया है वह एक पोर्टेबल मिसाइल है जिसे कंधे पर रखकर लॉन्च किया जा सकता है. अधिकारियों के मुताबिक, एमपी-एटीजीएम एक पोर्टेबल, कंधे से लॉन्च की जाने वाली मिसाइल प्रणाली है जिसे दुश्मन के टैंक और बख्तरबंद वाहनों को बेअसर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
#WATCH | DRDO (Defence Research and Development Organisation) successfully test-fired the Made-in-India Man-Portable Anti Tank Guided Missile (MP-ATGM) at the field firing range in Jaisalmer, Rajasthan, recently: DRDO officials pic.twitter.com/J2AcG5LdiT
— ANI (@ANI) August 13, 2024
दुश्मन के टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को करेगा ध्वस्त
डीआरडीओ के अधिकारियों के मुताबिक, इस एंटी टैंक मिसाइल से जंग के मैदान में दुश्मन के टैंक के अलावा बक्तरबंद वाहनों को भी नष्ट किया जा सकेगा. जिससे दुश्मन को मैदान छोड़ने पर मजबूर होने पड़ेगा. एटीजीएम प्रणाली दोहरी मोड साधक कार्यक्षमता के साथ दिन और रात ही नहीं बल्कि शीर्ष हमले की क्षमता से सुसज्जित है.
ये भी पढ़ें: Paris Paralympic 2024: भारत के गोल्ड मेडलिस्ट प्रमोद भगत पर अचानक लगा 18 महीनों का बैन, जानें क्या है पूरा मामला
इस मिसाइल का सफल परीक्षण 14 अप्रैल को किया गया था. इस प्रणाली में एमपीएटीजीएम, लॉन्चर, लक्ष्य प्राप्ति प्रणाली और अग्नि नियंत्रण यूनिट शामिल थीं. बता दें कि 13 अप्रैल, 2024 को राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में वॉरहेड उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किए गए. मिसाइल प्रदर्शन और वॉरहेड प्रदर्शन उल्लेखनीय पाए गए.
ये भी पढ़ें: Bangladesh: हिंदुओं को लेकर अब खालिदा जिया का आया बड़ा बयान, ये क्या कह दिया?
क्या है डीआरडीओ?
बता दें कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) रक्षा मंत्रालय के अधीन एक एजेंसी है. जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. DRDO का गठन 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन और कुछ तकनीकी विकास प्रतिष्ठानों को मिलाकर किया गया था. यह भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान संगठन है. इसमें वैमानिकी, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, भूमि युद्ध इंजीनियरिंग, जीवन विज्ञान, सामग्री, मिसाइल और नौसेना प्रणाली जैसे विभिन्न क्षेत्रों को कवर करने वाली रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में लगी प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है.