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Drone Expo 2024: स्वदेशी ड्रोन तकनीक से होगी देश की सीमाओं की सुरक्षा, एक्सपो में दिखी भारत की ताकत

Drone Expo 2024: भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए स्वदेशी तकनीक से बने ड्रोन का इस्तेमाल करने जा रहा है. ये ड्रोन दुश्मन की हर चाल को समझकर पलक झपकते ही टार्गेट को भेद देंगे. साथ ही ये पलभर में दुश्मन की आंखों से ओझल होने की क्षमता से लैस होंगे.

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Suhel Khan
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Indian Army Drone

स्वदेशी ड्रोन तकनीक से होगी सीमाओं की सुरक्षा (File Photo)

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Drone Expo: केंद्र सरकार देश की सीमाओं को सुरक्षा करने के लिए लगातार तमाम कदम उठा रही है. जिसमें पाकिस्तान से सटी सीमाओं खासकर जम्मू-कश्मीर और पंजाब शामिल हैं. क्योंकि इन इलाकों में आतंकियों की घुसपैठ के साथ ड्रग्स की तस्करी की समस्या भी तेजी से बढ़ी है. इसके लिए भारत सरकार ड्रोन तकनीक की मदद दे रही है. देश की सीमाओं को और सुरक्षित बनाने के एंटी ड्रोन तकनीक का भी विकास किया गया है.

ऐसे ही ड्रोन्स की एक झलक राजधानी दिल्ली के द्वारिका स्थित यशोभूमि में चल रहे दक्षिण एशिया के सबसे बड़े ड्रोन एक्सपो में देखने को मिली. जिसमें डिफेंस सॉल्यूशन से जुड़े हुए ड्रोनों को शोकेस किया गया है. इनमें से 6 विभिन्न तकनीकी के ड्रोन को दिखाए गए. इस दौरान चार ड्रोन का डेमो भी उड़ते हुए दिखाया गया. राहुल डबास की इस रिपोर्ट में जानें ड्रोन एक्सपो में नजर आए ड्रोन्स के बारे में अहम जानकारियां.

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भारतीय सेना और तोपखाने सेवा के लिए ड्रोन

यह विशिष्ट किस्म का ड्रोन है जिसे स्वदेशी तकनीक से बनाया गया है. ड्रोन बनाने वाली कंपनी के मालिक विशाल दिक्षित ने इस ड्रोन की बारीकियां बताईं.

1. एंटी जैमिंग फीचर: जीपीएस बंद कर दिया जाए. इसके ऊपर आरएफआईडी के जरिए गिरने की कोशिश हो या सिग्नल जाम कर दिया जाए तब भी यह ड्रोन आंतरिक नेविगेशन के जरिए उड़ता रहेगा. इस भारतीय इसरो इंस्टॉलेशन नाविक से भी लैस किया जा सकता है.

2. भारतीय थल सेना द्वारा दक्षिणी कश्मीर के पीर पंजाल जंगलों में प्रयोग:

मोदी सरकार 3.0 बनने के बाद लगातार राजौरी, कटवा, सांबा जैसे दक्षिणी कश्मीर और जम्मू के जिलों में आतंकी गतिविधि बढ़ती हुई नजर आती है. खासतौर पर पीर पंजाल के घने जंगलों का इस्तेमाल आतंकवाद छुपाने के लिए करते हैं, लेकिन इस ड्रोन के अंदर थर्मल इमेजिंग और हिट सेंसर भी मौजूद है, जो न सिर्फ आतंकवादियों की पहचान कर सकता है, बल्कि उनकी संख्या भी जिन सकता है. यह डेमो ड्रोन एक्सपो के अंदर इस ड्रोन ने हवा में उड़कर जहां मौजूद लोगों की संख्या यानी हेड काउंट करके दिखाया.

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3. आर्टिलरी यूनिट के द्वारा इस्तेमाल:

इसी ड्रोन के जरिए भारतीय आर्टिलरी यूनिट यानी तोपखाना दुश्मन के ऊपर सटीक निशाना भी लगा सकती है. दरअसल यह ड्रोन लेजर के जरिए सटीक को-ऑर्डिनेट देता है जो लेजर गाइडेड बम या आर्टिलरी फायर में इस्तेमाल किए जाते हैं.

ड्रोन लोकेटर रडार

दिल्ली में चल रही दक्षिण एशिया के सबसे बड़े ड्रोन एक्सपो में कई ड्रोन हवा में उड़ते हुए दिखाई दिए. यह ड्रोन लोकेटर रडार हवा में उड़ रही ड्रोन की दिशा, ऊंचाई यहां तक की फ्रीक्वेंसी का पता लगा सकता है. जिसके बाद उसे आसानी से गिराया जाना संभव है. इस तरह के पोर्टेबल ड्रोन रडार लोकेटर जम्मू और पंजाब फ्रंटियर में काफी मददगार साबित हो सकते हैं. जहां ड्रोन के जरिए ड्रग्स की तस्करी और हथियारों को सीमा पर पाकिस्तान से भारत में पहुंचने की कोशिश लगातार की जाती है.

हाई स्पीड कामाकाज़ी ड्रोन

'कामकाजी' दरअसल जापानी भाषा का एक शब्द होता है, जिसका अर्थ है आत्मघाती. यह ड्रोन अपने आप में आत्मघाती हमलावर की तरह है, जो अपने साथ 70 ग्राम विस्फोटक लेकर जा सकता है जिसमें अगर आईडी जानी तेजी से धमाके वाले विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाए तो किसी गाड़ी या बिल्डिंग के इलाके को उड़ाने के लिए यह ड्रोन काफी है. इसके जरिए भारतीय सशस्त्र बल सुरक्षित दूरी से धमाका करके दुश्मन का खात्मा कर सकते हैं, इसकी रेंज लगभग 4 किलोमीटर है.

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लंबी दूरी और सहनशक्ति हाइब्रिड यूएवी

यह हाइब्रिड ड्रोन और अनमैंड एरियल व्हीकल का मिश्रित रूप है. जिसमें चार प्रोपेलर के साथ दो फिक्स विंग का भी इस्तेमाल किया गया है. यानी आसान भाषा में यह हेलिकॉप्टर भी है और हवाई जहाज भी. यह कई घंटे तक हवा में रहकर 5 किलोमीटर की ऊंचाई से निगरानी का काम करता है. भारतीय फौज द्वारा इस भारत-पाकिस्तान और भारत चीन सीमा पर मौजूदा समय में भी प्रयोग में लिया जा रहा है. इसमें थर्मल इमेजिंग, कैमरे नाइट विजन और 16 एक्स डिजिटल और ऑप्टिकल जूम के कैमरे शामिल है. सुरक्षा कारणों से इसका डेमो उपलब्ध नहीं है.

आईटीबीपी के लिए रसद वाहक ड्रोन

वर्तमान समय में भारत तिब्बत सीमा पुलिस यानी आईटीबीपी के द्वारा इस ड्रोन का इस्तेमाल भारी सामानों को एक ऊंचाई से दूसरे पहाड़ पर ले जाने के लिए अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र में किया जा रहा है. यह चीन से लगी हुई सीमा है. जहां दुर्गम भौगोलिक स्थिति में यह 40 मिनट तक लगातार उड़कर 25 किलोमीटर भर को एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर पहुंचने की क्षमता रखता है. 

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शहरी युद्ध कक्ष हस्तक्षेप नैनो ड्रोन

गाजा से लेकर यूक्रेन तक मौजूदा समय में शहरों के अंदर युद्ध हो रहे हैं. जम्मू कश्मीर की आतंक प्रभावित क्षेत्रों में भी घरों के अंदर घुसकर आतंकवादियों का सफाया किया जाता है. ऐसे में यह नैनो ड्रोन भारतीय स्पेशल फोर्सेज के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है, जो रूम इंटरवेंशन के दौरान कमरों के अंदर घूमकर खिड़की के अंदर से जाकर आतंकवादियों की लोकेशन बता सकता है. इसकी रेंज 1 किलोमीटर से ज्यादा है, जबकि इसका भार सिर्फ 100 ग्राम है और किसी छोटे पंछी से भी कम आकार की वजह से यह आसानी से कमरे के अंदर भी आंखों से ओझल होने की क्षमता रखता है.

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