उत्तर भारत जुलाई के माह में भी भीषण गर्मी से परेशान है. यहां पर उमस और गर्मी से बुरा हाल है. वहीं पहाड़ी राज्य भी गर्मी की मार से अछूते नहीं हैं. कश्मीर में गर्मी ने 25 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. वहीं लेह-लद्दाख भी इससे अलग बिल्कुल नहीं है. लेह-लद्दाख और कश्मीर अपनी खूबसूरती के साथ ठंडी वादियों के के लिए जाना जाता है. यहां पर गर्मी पड़ रही है.यहां पर तापमान 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है.
लेह-लद्दाख का नाम सामने आते ही बर्फ से घिरे पहाड़ जेहन में आते हैं. ऐसा लगता है किया पर बिना गर्म कपड़ों के कोई नजर नहीं आता होगा. मगर इस बार यहां पर ऐसी सर्दी नहीं पड़ रही है. यहां पर हालात बिल्कुल अगल नजर आ रहे हैं. भीषएा सर्दी वाले लद्दाख में दिल्ली से कहीं अधिक गर्मी (Leh Heat Wave) पड़ रही है. यहं पर तापमान इतना अधिक है कि विमान उड़ तक नहीं पा रहे हैं. आलम ये है कि तीन दिन में 13 उड़ानें रद्द हो चुकी हैं. इसकी वजह गर्मी बताई जा रही है.
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कब रद्द होती हैं फ्लाइट्स?
आम तौर पर फ्लाइट रद्द होने का तेज बारिश या फिर बर्फबारी होती है. मगर लेह में गर्मी की वजह से फ्लाइट की उड़ान पर रोक लगाई गई है. अगर लेह के तापमान की बात की जाए तो इस समय वह 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास है. लेह जैसे ठंडे क्षेत्र में यह तापमान काफी डरा देने वाला है. तापमान बढ़ने के कारण रविवार को लेह में 4 फ्लाइट्स रद्द किया गया. दिल्ली से रवाना हुई एक फ्लाइट तो शनिवार को एयरपोर्ट पर लैंड नहीं कर सकी.
इंडिगो की फ्लाइट कैंसिल एडवाइजरी
इंडिगो ने सोमवार को एक एडवाइजरी जारी की है. इंडिगो ने बताया कि लेह में हाई ग्राउंड टेंपरेचर और रनवे प्रतिबंधों के कारण आज सभी फ्लाइट रद्द करनी अनिवार्य हो चुकी हैं. दोबारा बुकिंग करना चाहते हैं या रिफंड चाहते हैं तो https: //bit. ly/3MxSLeE पर जाना होगा. फलाइट ने असुविधा के लिए खेद जताया है.
एयर डेंटिसिटी कम हो जाती है
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो लेह जैसे ऊंचाई वाले स्थानों पर कम वायु घनत्व विमान के इंजन की क्षमता को खराब कर सकते हैं. ऊंचाई के बढ़ने के बाद हवा का तापमान कम होने लगता है. हवा का दबाव भी कम हो जाता है. इससे हवा के अणु फैलने लगते हैं. कुल एयर डेंटिसिटी कम हो जाती है. उस समय ऑक्सीजन की उपलब्धता कम होती है. यही कारण है कि पर्वतारोही उच्च ऊंचाई पर सांस लेने को ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर होते हैं.
इंजन के प्रदर्शन को प्रभावित करता है
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो कम वायु घनत्व उड़ान भरने के साथ लैंडिंग के दौरान विमान के इंजन के प्रदर्शन को प्रभावित करता है. इसकी वजह है कि इंजन को फ्लोटिंग करने को लेकर अधिक रफ्तार की आवश्यकता होती है. इसकी वजह से विमान अधिक भार ले जाने को लेकर अधिक थ्रस्ट नहीं बना पाता है.
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