Advertisment

उत्तर भारत में बाघ का खौफ बरकरार, अब लोगों को स्थायी समाधान का इंतजार

उत्तर भारत के बाघ अभ्यारण्यों में कर्मचारी संकट गंभीर है, जिससे होम गार्ड्स और अप्रशिक्षित कर्मियों की भर्ती की जा रही है. सरकार को स्थायी भर्ती, प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीक के उपयोग पर जोर देना चाहिए.

author-image
Ritu Sharma
New Update
Fear of tiger

Fear of tiger

Advertisment

उत्तर भारत के बाघ अभ्यारण्यों में कर्मचारी संकट की गंभीर समस्या उभर कर सामने आई है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बाघ अभ्यारण्यों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं, जिससे बाघ संरक्षण को लेकर चुनौतियां बढ़ गई हैं. प्रशिक्षित वनकर्मियों की कमी के चलते होम गार्ड्स और अप्रशिक्षित कर्मियों की तैनाती की जा रही है, जो बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में असमर्थ हैं.

कर्मचारी संकट - कितनी जरूरत और कितने पद खाली

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बाघ अभ्यारण्यों में हजारों कर्मचारियों की जरूरत है. इन अभ्यारण्यों में करीब 40% से अधिक पद लंबे समय से खाली हैं. उत्तर प्रदेश के अमनगढ़, दुधवा और पीलीभीत बाघ अभ्यारण्यों में दर्जनों वन रेंजर, वनपाल और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति लंबित है. उत्तराखंड में कॉर्बेट और राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में भी इसी तरह की स्थिति है. विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में करीब 800 से 1,000 प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत है, जबकि राज्य सरकार केवल 200-300 पदों को भरने की योजना बना रही है. इस स्थिति में बाघों की सुरक्षा और संरक्षण का कार्य पर्याप्त रूप से नहीं हो पा रहा है.

यह भी पढ़ें : नोएल टाटा बने Tata Trusts के नए चेयरमैन, क्या अब ये संभालेंगे रतन टाटा की विरासत?

होम गार्ड्स और अप्रशिक्षित कर्मियों की भर्ती

वहीं आपको बता दें कि बाघ अभ्यारण्यों में होम गार्ड्स और अप्रशिक्षित कर्मचारियों की भर्ती इस समय अभ्यारण्य प्रबंधन की एक अस्थायी व्यवस्था बन गई है. हालांकि ये होम गार्ड्स और अन्य कर्मी जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन वन्यजीवों की सुरक्षा और जंगल की निगरानी के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और अनुभव की कमी उन्हें प्रभावी कार्यान्वयन से रोकती है. इसके अलावा, इन कर्मचारियों को आधुनिक तकनीक, बाघों के व्यवहार और जंगल की चुनौतियों के बारे में गहराई से जानकारी नहीं होती, जिससे अभ्यारण्यों में सुरक्षा व्यवस्थाएं कमजोर हो जाती हैं.

इसके अलावा, अवैध शिकार और जंगल में घुसपैठ जैसी गंभीर समस्याओं से निपटने के लिए वनकर्मियों को पर्याप्त शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण की जरूरत होती है, जो इन अस्थायी कर्मियों में नहीं है. इसका सीधा नुकसान बाघों की सुरक्षा पर पड़ता है, जिससे अभ्यारण्यों में बाघों की संख्या पर खतरा मंडराने लगता है.

सरकारी कदम, सुधार की दिशा में उपाय

वहीं आपको बता दें कि बाघ अभ्यारण्यों में मौजूदा हालात को सुधारने के लिए प्रदेश सरकार को कई कदम उठाने होंगे. सबसे पहले, रिक्त पदों को तेजी से भरने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी. प्रशिक्षित वनकर्मियों की कमी को पूरा करने के लिए नियमित भर्ती और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए, ताकि नई पीढ़ी के वनकर्मी इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम हों. दूसरे, सरकार को वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक जैसे ड्रोन, ट्रैकिंग डिवाइस और सीसीटीवी कैमरों का उपयोग बढ़ाना चाहिए. इससे वनकर्मियों को जंगल की निगरानी करने और बाघों के संरक्षण में मदद मिलेगी.

इसके अलावा, सरकार को होम गार्ड्स और अन्य अप्रशिक्षित कर्मियों की भर्ती की जगह वन विभाग के स्थायी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि वनकर्मियों को नियमित अंतराल पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे बाघों की सुरक्षा और जंगल की पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर सकें.

hindi news Breaking news INDIA famous tiger reserves in india Tiger Reserve Dudhwa Tiger Reserve
Advertisment
Advertisment