Sundararajan Padmanabhan: भारतीय पूर्व सेना प्रमुख का निधन, साल 2000 में संभाली थी आर्मी की कमान

जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन ने 30 सितंबर 2000 को 20वें सेना अध्यक्ष के रूप में भारतीय सेना का जिम्मा उठाया था. इसके बाद साल 1959 में भारतीय सैन्य अकादमी से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की.

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Yashodhan.Sharma
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Sundararajan Padmanabhan passed away
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भारतीय पूर्व थल सेना प्रमुख जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन का 83 साल की उम्र में चेन्नई में निधन हो गया. केरल के त्रिवेंद्रम में 5 दिसंबर 1940 को उनका जन्म हुआ था. उन्होंने देहरादून स्थित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज(RIMC) और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), खड़कवासला, पुणे से अपनी शिक्षा गृहण की थी. उन्होंने 30 सितंबर 2000 को 20वें सेना अध्यक्ष के रूप में भारतीय सेना का जिम्मा उठाया था. इसके बाद साल 1959 में भारतीय सैन्य अकादमी से अपनी ग्रेजुएशन की शिक्षा पूरी की. फिर उन्हें आर्टिलरी रेजिमेंट में कमीशन दिया गया था. 

बता दें कि जनरल सुंदरराजन का करियर काफी शानदार रहा था. कई प्रतिष्ठित कमांड, स्टाफ और अनुदेशात्मक पोस्टिंग उनके खाते में शामिल हैं, इसके अलावा वह कई ऑपरेशनों में भाग ले चुके थे. वह 1973 में वेलिंगटन स्थित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (DSSC) और नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज (NDC) से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर चुके थे.

स्वतंत्र लाइट बैटरी की कमान संभाली

जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन ने 1975 से जुलाई 1976 तक एक स्वतंत्र लाइट बैटरी का कार्यभार संभाला। इसके बाद उन्होंने 1977 से मार्च 1980 तक गजाला माउंटेन रेजिमेंट की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई,जो कि पर्वतीय रेजिमेंट इंडियन आर्मी की सबसे पुरानी तोपखाना रेजिमेंटों में से एक है. 

निक नेम रखा था पैडी 

सेना के लोगों ने उनका निक नेम पैडी रखा था. उन्हें प्यार से इसी नाम से जाना जाता था. दिल्ली में प्रतिष्ठित एनडीसी कोर्स में भाग लेने से पहले उन्होंने एक स्वतंत्र आर्टिलरी ब्रिगेड और एक माउंटेन ब्रिगेड की कमान संभाली थी. इसके बाद साल 1983 से मई 1985 तक जनरल सुंदरराजन माउंटेन डिवीजन के कर्नल जनरल स्टाफ बने.फिर वह आईएमए में दो कार्यकाल बिताकर 1992 से जून 1993 तक 3 कोर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में भी शामिल हो गए.

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2002 में हुए सेवानिवृत

सुंदरराजन पद्मनाभन लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर पदोन्नति हुए. इसके बाद उन्हें कश्मीर घाटी में 15 कोर का कमांडर बनाया गया । उनके कार्यकाल के दौरान ही सेना को कश्मीर में आतंकवादियों पर बड़ी सफलता मिली थी. सेना प्रमुख नियुक्त होने से पहले वह दक्षिणी कमान के जीओसी भी रहे और साल 2002 में रिटायर्ड हो गए.

Ex Army chief
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