शहरी गरीबी को कम करने के लिए सरकार की पहल, एक अक्टूबर से 25 शहरों में दिखेगा बड़ा बदलाव

केंद्र सरकार कम आय वाले परिवारों के बीच शहरी गरीबी की पहचान के लिए सर्वे शुरू करने जा रही है. इस सर्वेक्षण मे 25 शहरों को शामिल किया गया है. श्रमिकों को कई वर्ग में बांटकर की जाएगी मदद. 

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Mohit Saxena
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pm modi (Social media)

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केंद्र सरकार विभिन्न नागरिक निकायों के साथ मिलकर कम आय वाले परिवारों के बीच शहरी गरीबी के प्रति संवेदनशीलता की पहचान करने को लेकर घर-घर सर्वेक्षण शुरू करेगी. इस दौरान घरेलू और गरीब श्रमिकों सहित छह विशिष्ट समूहों में यह सर्वे किया जाएगा. इसे लेकर सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि 1 अक्टूबर से ये सर्वेक्षण कोलकाता, चेन्नई, विशाखापत्तनम, आगरा, इंदौर और वाराणसी समेत देश भर के 25  शहरों में आयोजित किया जाएगा.

शहरी गरीबों की संख्या में तेजी देखी जा रही

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MOHUA) की ओर से जारी बयान में बताया गया कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और मानव विकास संस्थान की ओर से भारत रोजगार रिपोर्ट (IER) 2024 के अनुसार, शहरी गरीबी दर 2012 में 13.7% की तुलना में 2022 में 12.55% थी. मगर विशेषज्ञों ने चेताया कि चूंकि शहरीकरण में तेजी आई है. इस कारण सुधार होने के बावजूद शहरी गरीबों की संख्या में तेजी देखी जा रही है. इस सर्वेक्षण के जरिए अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि अधिक से अधिक लाभार्थी सरकारी योजनाओं से जुड़ सकें.

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एक पायलट परियोजना का हिस्सा होंगे

यह कार्यक्रम निर्माण श्रमिकों, दिहाड़ी श्रमिकों, अपशिष्ट श्रमिकों, देखभाल श्रमिकों, घरेलू श्रमिकों और परिवहन श्रमिकों को पहचानने का प्रयास है. ये MOHUA के नए शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के लिए एक पायलट परियोजना का हिस्सा होंगे. आपको बता दें कि लंबे समय से शहरी आजीविका मिशन पर काम जारी था. इसे 2023 में लॉन्च किया जाना था, मगर 2024 में भी ऐसी कोई पहल नहीं हुई.

इस प्रोजक्ट को करीब 180 करोड़ रुपये की फंडिंग हुई. यह पायलट प्रोजेक्ट तीन महीने तक जारी रहने वाला है.  मौजूदा दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) को बदलने को लेकर नई योजना को तैयार की जाएगी. 

₹2 लाख से बढ़ाकर ₹4 लाख की जाएगी ऋण सीमा

इस पायलेट योजना के तहत मौजूदा योजनाओं के कुछ कौशल और सूक्ष्म-ऋण पहलुओं को पायलट के हिस्से के रूप में बढ़ाया जाएगा. सूक्ष्म उद्यमियों के लिए स्व-रोजगार कार्यक्षेत्र के तहत ऋण की ऊपरी सीमा ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹4 लाख की जाएगी. इसके साथ ही उद्यमिता विकास प्रशिक्षण, वित्तीय और डिजिटल साक्षरता के साथ-साथ बाजार संबंधों को समर्थन देने की सुविधा भी प्रदान की जाएगी. समूह ऋण सीमा को मौजूदा ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹20 लाख किया जाएगा.

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