इंश्योरेंस पर GST को लेकर बड़ा फैसला! हेल्थ-टर्म पॉलिसी पर अब 'शून्य' टैक्स

सरकार का इरादा साफ है. जरूरी और आम इस्तेमाल वाली चीजों को सस्ता करना ताकि लोगों को राहत मिले और जो चीजें हानिकारक या दिखावे वाली हैं उन पर ज्यादा टैक्स लगाकर उन्हें महंगा बनाना.

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Mohit Sharma
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सरकार का इरादा साफ है. जरूरी और आम इस्तेमाल वाली चीजों को सस्ता करना ताकि लोगों को राहत मिले और जो चीजें हानिकारक या दिखावे वाली हैं उन पर ज्यादा टैक्स लगाकर उन्हें महंगा बनाना.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं मीटिंग में सरकार ने जीएसटी को बिल्कुल नए ढर्रे पर ढाल दिया है.  इसे नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी कहा जा रहा है. अब तक जीएसटी में चार अलग-अलग स्लैब थे. 5%, 12%, 18% और 28%. लेकिन अब इस पूरी व्यवस्था को बदलकर सिर्फ दो ही स्लैब रखे गए हैं. यानी अब सिर्फ 5% और 18% का ही जीएसटी लगेगा और बाकी स्लैब खत्म कर दिए गए हैं. यह नया सिस्टम 22 सितंबर 2025 से लागू होगा और सरकार ने इसे नवरात्रि से ठीक पहले लागू करने का ऐलान किया है ताकि त्यौहार के समय लोग सीधे इसका असर महसूस कर सकें. इस बड़े बदलाव का मतलब है कि कई चीजें सस्ती होंगी और कुछ चीजें महंगी भी. जिन प्रोडक्ट्स पर अभी तक 12% जीएसटी लगता था, उनमें से ज्यादातर को 5% वाले स्लैब में डाल दिया गया है.

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40% जीएसटी स्लैब का क्या

यानी जिन सामानों पर लोग पहले ज्यादा टैक्स दे रहे थे, वह अब कम दाम पर मिलेंगे. वहीं, कुछ डेली यूज़ वाले प्रोडक्ट्स जिन पर अभी 18% टैक्स था उन्हें भी घटाकर 5% में कर दिया गया है. इसका सीधा फायदा आम लोगों को मिलेगा क्योंकि खाने-पीने और घर में इस्तेमाल होने वाली रोजमर्रा की चीजें पहले से सस्ती हो जाएंगी. लेकिन इस बीच सरकार ने एक नया कदम भी उठाया है. 40% जीएसटी का स्लैब यह खासतौर पर उन चीजों पर लागू होगा जिन्हें या तो हानिकारक माना जाता है या फिर सुपर लग्जरी कैटेगरी में रखा जाता है. यानी तंबाकू, गुटखा, सिगरेट और इससे जुड़े प्रोडक्ट्स पर अब सीधे 40% जीएसटी देना होगा. इतना ही नहीं लग्जरी कारें और सुपर लग्जरी सामान पर भी इसी कैटेगरी में इन्हें रखा गया है. सरकार ने साफ किया है कि इस 40% टैक्स के अलावा इन प्रोडक्ट्स पर कोई अलग से सेस नहीं लगेगा. मतलब सीधा एक हाई टैक्स स्लैब के जरिए इन्हें कवर किया जाएगा.

क्या है सरकार का इरादा

सरकार का इरादा साफ है. जरूरी और आम इस्तेमाल वाली चीजों को सस्ता करना ताकि लोगों को राहत मिले और जो चीजें हानिकारक या दिखावे वाली हैं उन पर ज्यादा टैक्स लगाकर उन्हें महंगा बनाना. इस मीटिंग से जुड़ा एक और बड़ा फैसला इंश्योरेंस सेक्टर से जुड़ा है. अभी तक लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर 18% जीएसटी देना पड़ता था. जिससे प्रीमियम की रकम काफी बढ़ जाती थी. लेकिन इस बार सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए इंश्योरेंस प्रीमियम को सीधे जीरो टैक्स कैटेगरी में डाल दिया है. यानी अब अगर कोई जीवन बीमा या स्वास्थ्य बीमा लेता है तो उस पर जीएसटी बिल्कुल नहीं देना होगा. 2017 में जब से जीएसटी लागू हुआ था तब से लेकर अब तक पहली बार इसमें इतनी बड़ी राहत दी गई है. इसका सीधा असर यह होगा कि लोग कम पैसों में इंश्योरेंस ले पाएंगे और बीमा लेना आम लोगों की पहुंच में और आसान हो जाएगा.

56वीं जीएसटी काउंसिल की मीटिंग

कुल मिलाकर इस 56वीं जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में जो बदलाव हुए हैं, वह सीधे आम जनता की जेब से जुड़े हैं. रोजमर्रा की चीजें सस्ती होंगी. बच्चों की पढ़ाई लिखाई और दवाइयों जैसी जरूरी चीजों पर टैक्स हट चुका है. इंश्योरेंस भी टैक्स फ्री हो गया है. गाड़ी घर बनाना भी सस्ता होगा क्योंकि सीमेंट और गाड़ियों पर टैक्स घटा दिया गया है. वहीं दूसरी तरफ तंबाकू, सिगरेट और लग्जरी सामानों को और महंगा किया गया है ताकि सरकार की आमदनी बनी रहे और लोग इनसे दूरी बनाए रखें. अब देखना यह होगा कि 22 सितंबर से लागू होने वाले इन नए रिफॉर्म्स का असली असर मार्केट और लोगों की जेब पर कैसे पड़ता है. लेकिन इतना पक्का है कि यह फैसले इस बार हर आम आदमी तक सीधा असर डालेंगे.

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