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बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, खारिज की ये याचिका

Supreme Court: बिककिस बानो गैंगरेप केस में गुजरात सरकार को एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. दरअसल, शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एससी ने राज्य सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की थी.

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Suhel Khan
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सुप्रीम कोर्ट से गुजरात सरकार को झटका (File Photo)

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार को बड़ा झटका दिया. दरअसल, एससी ने गुजरात सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द करने के आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी. शीर्ष कोर्ट के 8 जनवरी के आदेश में सरकार के खिलाफ कठोर टिप्पणियां की गई थीं. राज्य को आरोपियों के साथ "मिलीभगत" और "मिलकर काम करने" के लिए दोषी ठहराया गया था. इन बयानों की गुजरात सरकार समीक्षा और निष्कासन चाहती थी.

एससी ने खारिज की समीक्षा याचिका

गुजरात सरकार की समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि, "समीक्षा याचिकाओं, चुनौती के तहत आदेश और उसके साथ संलग्न कागजात को ध्यान से देखने के बाद, हम संतुष्ट हैं कि रिकॉर्ड में कोई स्पष्ट त्रुटि नहीं है. या समीक्षा याचिकाओं में कोई योग्यता, जिस पर लागू आदेश पर पुनर्विचार की आवश्यकता हो." इसके साथ ही न्यायाधीशों ने खुली अदालत में सुनवाई के अनुरोध को भी ठुकरा दिया.

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मामले के दोषी की भी याचिका खारिज

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारी की याचिका के साथ दोषियों में से एक, रमेश रूपाभाई चंदना की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें अगस्त 2022 में पारित गुजरात सरकार के माफी आदेश को रद्द कर दिया गया था और 11 दोषियों को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया था. शीर्ष कोर्ट ने माना कि छूट पर निर्णय लेने के लिए महाराष्ट्र सरकार सक्षम प्राधिकारी थी, क्योंकि 2004 में शीर्ष अदालत द्वारा पारित निर्देश पर बिलकिस बानो मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में ट्रांसफर की गई थी.

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फरवरी में दायर की थी याचिका

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुजरात सरकार ने इसी साल फरवरी में अपनी समीक्षा याचिका दायर की थी. जिसमें उसके खिलाफ की गई टिप्पणियों पर आपत्ति जताई गई और दावा किया गया कि वे रिकॉर्ड के विपरीत थीं. इसे "रिकॉर्ड पर स्पष्ट त्रुटि" बताते हुए, जो शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा को उचित ठहराता है, राज्य ने इन टिप्पणियों को हटाने की मांग की.

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समीक्षा याचिका में कहा गया कि, "इस अदालत द्वारा की गई अत्यधिक टिप्पणी कि गुजरात राज्य ने 'मिलकर काम किया और आरोपियों के साथ मिलीभगत की', न केवल बेहद अनुचित और मामले के रिकॉर्ड के खिलाफ है, बल्कि इससे राज्य पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है."

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