आगरा से ग्वालियर का सफर अब और आसान होने वाला है. वहीं, कानपुर के आस-पास वाले हाईवे पर भी अब भीड़भाड़ से मुक्त होने वाले हैं. दरअसल, भारत सरकार ने आठ नेशनल हाई-स्पीड रोड कॉरिडोर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है. सरकार का कहना है कि इन आठ हाईवे प्रोजेक्ट्स की कुल लागत 50,655 करोड़ रुपये से अधिक है. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया है. सरकार का कहना है कि इन परियोजनाओं के लिए सुनिश्चित किया जाएगा कि भूमि अधिग्रहण की जरूरत कम से कम हो.
इन उद्देश्य से हाईवे का हो रहा है निर्माण
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि जितना हो सकेगा, उतना इन प्रोजेक्ट्स को ब्राउनफील्ड से जोड़ा जाएगा. इन आठ परियोजनाओं को लेकर सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है कि लॉजिस्टिक्स में सुधार हो और भीड़भाड़ को कम करें. इन परियोजनाओं से देशभर में कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा.
इन प्रोजेक्ट्स से होगा फायदा
इन प्रोजेक्ट्स से आगरा और ग्वालियर के बीच सफर का समय 50 प्रतिशत तक कम हो जाएगा. नई परियोजनाओं में शामिल खड़गपुर-मोरेग्राम कॉरिडोर पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्व की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. कानपुर रिंग रोड से कानपुर के आसपास के हाईवे को भीड़-भाड़ से छुटकारा मिलेगा. इसके अलावा, रायपुर-रांची कॉरिडोर झारखंड और छत्तीसगढ़ के विकास को बढ़ावा मिलेगा. रिंग रोड लखनऊ इंटरनेशनल हवाई-अड्डे, अयोध्या हवाईअड्डे और शहर के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से आने वाले पर्यटकों को कनेक्टिविटी मिलेगी. पुणे और नासिक के बीच 8-लेन एलिवेटेड फ्लाईओवर कॉरिडोर बनाया जाएगा. इस फ्लाईओवर की मदद से लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार आएगा.
हाइवे के राष्ट्रीय औसत में बढ़ोत्तरी
बता दें, राष्ट्रीय हाईवे का औसत वार्षिक निर्माण औसत अब पहले के मुकाबले 2.4 गुना बढ़ा है. 2004-14 में यह आंकड़ा 4000 किलोमीटर से बढ़कर 2014 से 2024 में 9600 किलोमीटर हो गया है.