Advisory for Monkeypox: देश में मंकीपॉक्स की दस्तक के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय सतर्क हो गया. इसी के साथ मंत्रालय न सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है. सोमवार (9 सितंबर) को जारी एडवाइजरी में मंकीपॉक्स के संदिग्धों की जांच करने और उनके संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने को कहा गया है. बता दें कि हाल ही में देश में मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मामला सामने आया था. इसके बाद इसे लेकर केंद्र और राज्य सरकारें सतर्क हो गईं.
रविवार को भारत में मिला था संदिग्ध मरीज
बता दें कि कल यानी रविवार को भारत में मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मरीज मिला था. इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि एक शख्स में मंकीपॉक्स के लक्षण मिले हैं जो हाल ही में विदेश से भारत लौटा है. संदिग्ध मरीज को अस्पताल में क्वारंटाइन किया गया है. अधिकारियों के मुताबिक, संदिग्ध मरीज की हालत ठीक है, वहीं उसके सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं. मंत्रालय के मुताबिक, प्रोटोकॉल के तहत उस व्यक्ति के संपर्क में आए सभी लोगों की ट्रेसिंग की जा रही है.
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Union Health Secretary Apurva Chandra issues advisory to States/UTs in view of WHO's declaration of Public Health Emergency of International Concern (PHEIC) related to Mpox pic.twitter.com/tQIXg2V2Ix
— ANI (@ANI) September 9, 2024
जानें क्या है मंकीपॉक्स
बता दें कि मंकीपॉक्स अफ्रीकी देशों में सबसे पहले फैला. ये एक संक्रामक बीमारी है जो संक्रमित व्यक्ति या जानवर के सीधे संपर्क में आने से फैलती है. मंकीपॉक्स को एमपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है. मंकीपॉक्स का वायरस आमतौर पर जानवरों के साथ-साथ इंसानों को भी प्रभावित कर सकता है. इस बीमारी के लक्षण 3 से 17 दिनों के बाद दिखाई देना शुरू होते हैं. इंसान या जानवरों में जब मंकीपॉक्स के लक्षण दिखना शुरू होते हैं तो इसे इनक्यूबेशन पीरियड कहा जाता है.
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इस देश में मिल रहे सबसे ज्यादा मरीज
बता दें कि मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा मामले अभी अफ्रीकी देश कांगों में देखने को मिल रहे हैं. अफ्रीका में इस बीमारी ने भयानक रूप ले लिया है. इस बीमारी से बचाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही लोगों को जागरूक किया जा रहा है. बता दें कि कांगो में पिछले साल से लेकर अब तक 27 हजार मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से 1100 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीमारी की चपेट में आने वाले ज्यादा बच्चे हैं. इस बीमारी का सबसे ज्यादा प्रभाव प्रेग्नेंट महिलाओं और कमजोर इम्युनिटी वालों पर देखने को मिलता है. या जो लोग यौन संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं उन्हें भी इस वायरस का सबसे ज्यादा खतरा रहता है.