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सप्ताह में 70 घंटे काम: डॉक्टरों की राय में दिल का दौरा, तनाव, बच्‍चों में ऑटिज्‍म का खतरा

सप्ताह में 70 घंटे काम: डॉक्टरों की राय में दिल का दौरा, तनाव, बच्‍चों में ऑटिज्‍म का खतरा

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की भारत में युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह के बीच, कई डॉक्टरों ने बताया कि इससे दिल का दौरा, तनाव, चिंता, पीठ दर्द तथा दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

एक पॉडकास्ट के दौरान मूर्ति ने कहा था कि अगर भारत हाल के दशकों में उल्लेखनीय प्रगति करने वाली विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहता है, तो युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए।

बेंगलुरु स्थित हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक कृष्णमूर्ति ने एक औसत पेशेवर द्वारा दिन को काम और अन्य प्रतिबद्धताओं के बीच विभाजित करके बिताया गया समय बताया।

कृष्णमूर्ति ने एक्स पर पोस्ट किया, “प्रति दिन 24 घंटे (जहाँ तक मुझे पता है)। यदि आप सप्ताह में छह दिन काम करते हैं - प्रति दिन 12 घंटे, शेष 12 घंटे - 8 घंटे की नींद, 4 घंटे बचते हैं। बेंगलुरु जैसे शहर में सड़क पर 2 घंटे, 2 घंटे बाकी हैं - ब्रश करना, शौच करना, नहाना, खाना।

उन्होंने कहा कि इससे न परिवार से मिलने का समय मिलेगा, न बात करने का, न व्यायाम करने का समय होगा, न मनोरंजन का। इतना ही नहीं कंपनियां लोगों से काम के घंटों के बाद भी ईमेल और कॉल का जवाब देने की अपेक्षा करती हैं।

तो युवाओं को हार्टअटैक होने पर आश्‍चर्य क्‍यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, सप्ताह में 35-40 घंटे काम करने की तुलना में प्रति सप्ताह 55 घंटे से अधिक काम करने से स्ट्रोक का जोखिम 35 प्रतिशत और हृदय रोग का खतरा 17 प्रतिशत अधिक होता है।

डब्ल्यूएचओ और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने 2021 में एनवायरमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित एक पेपर में दिखाया कि लंबे समय तक काम करने के कारण 2016 में स्ट्रोक और इस्केमिक हृदय रोग से 7,45,000 मौतें हुईं, जो वर्ष 2000 की तुलना में 29 प्रतिशत ज्‍यादा है।

एक्स पर मैक्स हेल्थकेयर के एंडोक्राइनोलॉजी और डायबिटीज के अध्यक्ष डॉ अंबरीश मिथल ने लिखा, 70 घंटे का कार्यसप्ताह एक आदर्श या सिफारिश भी नहीं हो सकता है।

उन्‍होंने कहा कि “अनिवार्य या अपेक्षित कार्य घंटे प्रति सप्ताह लगभग 48 घंटे होंगे। हालांकि सफलता हासिल करने के लिए कई लोगों ने अपनी युवावस्था में प्रति सप्ताह 70 घंटे काम किये हैं। उन्होंने कहा, इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मनिनी ने कहा, लंबे समय तक काम करने से परिवार में तनाव हो सकता है और बच्चों में ऑटिज्म हो सकता है।

डॉ. मनिनी ने एक्स पर पोस्ट किया, “विषाक्त कार्य संस्कृति और लंबे समय तक काम के घंटों के कारण परिवार पीड़ित हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इन दिनों हम इतने सारे ऑटिस्टिक बच्‍चे देख रहे हैं। इसका कारण यह है कि माता-पिता बच्चों के साथ बातचीत के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं। सप्ताह में 70 घंटे को ना कहें।

स्पोर्ट्स मेडिसिन चिकित्सक डॉ. सिद्धार्थ उन्नीथन प्रति सप्ताह 70 घंटे के काम को हास्यास्पद बताते हैं।

कुछ डॉक्टरों ने यह भी कहा कि लंबे समय तक काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि स्वेच्छा से काम करना चाहिए।

एसआरएमसी, चेन्नई के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट कार्तिक बालचंद्रन ने कहा, “यदि आप अपने लिए काम करते हैं, तो आप सप्ताह में 70 घंटे काम कर सकते हैं। अंततः उद्यम का फल मिलेगा। आपको अपने परिश्रम का फल अपने पास रखना होगा। किसी और की संपत्ति में एक और अरब जोड़ने के लिए 70 घंटे काम करना, आत्मा को कुचल देने वाली मूर्खता है। खासकर यदि वेतन बहुत कम है।

पल्स हार्ट चैरिटेबल ट्रस्ट के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मुखर्जी मदिवाड़ा ने कहा, “यदि कोई आपको इतनी कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर करता है, तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं, लेकिन यदि उत्‍साह भीतर से है, तो स्वास्थ्य को उतना नुकसान नहीं होगा। आजकल युवा बाहरी दबाव के कारण अधिक काम कर रहे हैं। इसलिए, यदि आप प्रति सप्ताह 70 घंटे से अधिक काम करते हैं, क्योंकि श्री मूर्ति ने आपको बताया है, तो आपको नुकसान होगा।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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