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UPI लेनदेन पर लगाया शुल्क तो 75 फीसदी लोग बंद कर देंगे इसका इस्तेमाल, सर्वे में हुआ खुलासा

UPI News: आज ज्यादातर लोग यूपीआई के जरिए पैसों का लेनदेन करना पसंद करते हैं. इससे एटीएम या बैंक से पैसा निकालने का झंझट भी खत्म हो जाता है साथ ही कैश रखने की टेंशन भी, लेकिन अगर यूपीआई ट्रांजेक्शन पर सरकार कुश शुल्क लगा दे तो 75 फीसदी लोग इसका इस्तेमाल बंद कर देंगे.

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Suhel Khan
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UPI (Social Media)

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UPI News: एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस यानी यूपीआई ने लोगों को कैश रखने से आजादी दिलाई है, लेकिन अगर सरकर ने यूपीआई ट्रांजेक्शन पर फीस वसूलना शुरू कर दिया तो तीन चौथाई लोग इसका इस्तेमाल बंद कर देंगे. इस बात का खुलासा एक सर्वे में हुआ है. जिसमें कहा गया है कि 75 फीसदी लोगों का कहना है कि यदि यूपीआई से लेनदेन पर कोई शुल्क लगाया जाता है तो वे इसका इस्तेमाल बंद कर देंगे.

डेबिट, क्रैडिट कार्ड से ज्यादा इस्तेमाल

सर्वेक्षण में सामने आए नतीजों में पता चलता है कि 38 प्रतिशत यूजर्स अपने भुगतान लेनदेन का 50 प्रतिशत से अधिक डेबिट, क्रेडिट या किसी अन्य प्रकार के डिजिटल लेनदेन के बजाय यूपीआई के माध्यम से करते हैं. सर्वे में कहा गया है कि, "सर्वेक्षण में शामिल केवल 22 प्रतिशत लोग ही यूपीआई भुगतान पर लेनदेन शुल्क देने को तैयार हैं. जबकि 75 प्रतिशत लोगों का कहना है कि यदि यूपीआई पर लेनदेन शुल्क लागू किया जाता है तो वे यूपीआई का उपयोग बंद कर देंगे."

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42 हजार लोगों ने दी प्रतिक्रिया

ये सर्वे तीन व्यापक क्षेत्रों में किया गया. सर्वेक्षण में देश के 308 जिलों से 42,000 प्रतिक्रियाएं सामने आईं. लेकिन सभी प्रश्न पर उत्तरों की संख्या अलग-अलग थी. यूपीआई पर लेनदेन शुल्क से संबंधित सवालों पर 15,598 लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 2023-24 वित्तीय वर्ष में लेनदेन की मात्रा में रिकॉर्ड 57 प्रतिशत और मूल्य में 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.

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100 बिलियन के पास यूपीआई ट्रांजेक्शन

इसके साथ ही पहली बार UPI लेनदेन 100 बिलियन को पार चला गया. जो इस वित्तीय वर्ष में 131 बिलियन पर बंद हुआ. जबकि 2022-23 में यह 84 बिलियन था. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन ट्रांजेक्शन में कुल 139.1 ट्रिलियन रुपये की भुगतान किया गया. जबकि 2023-24 में ये बढ़कर 199.89 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया.

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10 में से चार लोगों के बेहद जरूरी हो गया है UPI

सर्वे के मुताबिक, यूपीआई तेजी से लगभग 10 में से 4 उपभोक्ताओं का अभिन्न अंग बन गया है, इसलिए किसी भी प्रकार के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लेनदेन शुल्क लगाए जाने का कड़ा विरोध देखने को मिल सकता है. इस सर्वेक्षण के निष्कर्ष से वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक को एक साथ आगे आने होगा. जिससे यूपीआई पर किसी भी प्रकार के लेनदेने शुल्क के लगाने से पहले उसके बाद पूरी जानकारी हासिल कर ली जाए.

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