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Murshidabad violence: भारत और बांग्लादेश के रिश्ते हाल के दिनों में एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं, लेकिन इस बार वजह कूटनीतिक नहीं, बल्कि आंतरिक मामलों में दखल देने को लेकर है. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में वक्फ कानून को लेकर हुई हिंसा पर बांग्लादेश की प्रतिक्रिया सामने आई, जिसमें उसने भारत से मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की. बांग्लादेश के इस बयान का भारत ने तीखा पलटवार किया है. भारत ने इसका ऐसा जवाब दिया है कि युनूस सरकार याद रखेगी. इस बयान पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है.
बांग्लादेश की टिप्पणी और भारत की आपत्ति
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव ने भारत सरकार से पश्चिम बंगाल में हुए हिंसक घटनाक्रम को लेकर संज्ञान लेने की अपील की थी, उन्होंने दावा किया कि इस हिंसा में मुस्लिम समुदाय के लोग प्रभावित हुए हैं और भारत को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. इस बयान को भारत ने 'बेबुनियाद और तथ्यविहीन' करार देते हुए सिरे से नकार दिया.
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बांग्लादेश को भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने के बजाय अपने देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी एक सोची-समझी रणनीति के तहत की गई है, ताकि बांग्लादेश में हो रहे अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों से दुनिया का ध्यान हटाया जा सके.
MEA responds to the comments made by Bangladesh officials on the developments in West Bengal
— ANI (@ANI) April 18, 2025
"We reject the remarks made by the Bangladesh side with regard to the incidents in West Bengal. This is a barely disguised and disingenuous attempt to draw a parallel with India's… pic.twitter.com/RY2kRk7Meb
भारत का तीखा जवाब
रणधीर जायसवाल ने अपने बयान में कहा, "हम पश्चिम बंगाल की घटनाओं पर बांग्लादेश द्वारा की गई टिप्पणी को खारिज करते हैं. यह भारत के खिलाफ एक अनावश्यक हस्तक्षेप है और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों से ध्यान भटकाने की कोशिश है."
उन्होंने यह भी जोड़ा कि बांग्लादेश को 'अच्छा बनने की कोशिश' करने की जगह अपने देश में हो रहे हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों को रोकने के लिए गंभीर कदम उठाने चाहिए.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति
बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षों से अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वहां सैकड़ों मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है और कई धार्मिक गुरुओं को निशाना बनाया गया है. शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बाहर जाने के बाद से कट्टरपंथी तत्व अधिक सक्रिय हो गए हैं, जिसके चलते हिंदू समुदाय के लोगों को लगातार डर के माहौल में जीना पड़ रहा है.
भारत की चिंताएं जायज
भारत सरकार ने पहले भी कई बार कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है. यह मामला केवल धार्मिक आजादी का नहीं, बल्कि मानवीय अधिकारों का भी है, और भारत का मानना है कि पड़ोसी देशों में रहने वाले अल्पसंख्यकों को सुरक्षा और सम्मान मिलना चाहिए.