GlobE Network Steering Committee: अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में भारत को बड़ी जिम्मेदारी मिली है. दरअसल, गुरुवार (26 सितंबर) को भारत ग्लोब नेटवर्क की संचालन समिति में शामिल हो गया. चीन के बीजिंग में हुई बहु-चरणीय मतदान प्रक्रिया में भारत को इस समिति के लिए चुन लिया गया. बता दें कि अब भारत ग्लोब स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य के रूप में भ्रष्टाचार और संपत्ति वसूली के खिलाफ वैश्विक एजेंडा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. भारत का इस नेटवर्क में विशेषज्ञता और अनुभव अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों को मजबूत करेगा. मधुरेंद्र की इस रिपोर्ट में जानें ग्लोब नेटवर्क के बारे में सबकुछ.
जानें क्या है ग्लोब नेटवर्क ?
दरअसल, ग्लोब नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक महत्वपूर्ण मंच है, जो सीमा-पार वित्तीय अपराधों और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए संयुक्त प्रयास करता है. इस नेटवर्क की शुरुआत G20 की पहल से हुई थी. भारत ने साल 2020 में इस पहल का समर्थन किया था. इस नेटवर्क की आधिकारिक शुरुआत 3 जून 2021 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGASS) के एक विशेष सत्र में हुई थी.
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सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि, संचालन समिति के सदस्य के रूप में भारत अब भ्रष्टाचार और संपत्ति वसूली के खिलाफ वैश्विक एजेंडे को आकार देने में अहम भूमिका निभाएगा. इसके साथ ही भ्रष्टाचार से निपटने में भारत की विशेषज्ञता और अनुभव ग्लोब नेटवर्क के लिए काफी महत्वपूर्ण होंगे.
ग्लोब नेटवर्क में क्या होगी भारत की भूमिका?
बता दें कि ग्लोब नेटवर्क में 121 सदस्य देश और 219 सदस्य अधिकारी शामिल हैं. गृह मंत्रालय (MHA) इस नेटवर्क के लिए भारत की केंद्रीय प्राधिकरण है, जबकि CBI और ED इस नेटवर्क में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रमुख संस्थाएं हैं. इस नेटवर्क के स्टीयरिंग कमेटी में एक चेयर, एक वाइस चेयर और 13 सदस्य होते हैं जो संगठन को नेतृत्व प्रदान करते हैं.
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बता दें कि भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान 2023 में भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों को और मजबूत करने के लिए उच्च स्तरीय सिद्धांतों को अपनाया गया था, जिसमें ग्लोब नेटवर्क का लाभ उठाने पर विशेष जोर दिया गया था.
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