Manipur Something Big on 28 September: लगभग डेढ़ साल का वक्त हो चुका है पर मणिपुर के अंदर सुलग रही जातिये हिंसा की आग थम नहीं रही. अब इसके पीछे चीन से लेकर पाकिस्तान, म्यांमार से लेकर अमेरिका तक के हाथ बताई जा रहे हैं. हालांकि 35,000 करोड़ की धनराशि से गृह मंत्रालय ने मणिपुर म्यांमार बॉर्डर की फेंसिंग और असम राइफल द्वारा कड़ाई से सीमाओं की सुरक्षा करने के आदेश दे दिए हैं, लेकिन भारत विरोधी शक्तियों ने मणिपुर को सुलझाने की नई साजिश रखी है और दिन निर्धारित किया गया है 28 सितंबर का..असम राइफल ने एक मिलिटेंट को पकड़ है ,जिसने बड़ा खुलासा किया है कि 900 उग्रवादी 30-30 की समूह में विभाजित होकर 28 सितंबर को मणिपुर के कुल 30 मेथी गांव में एक साथ हमला करने वाले हैं.
खास बात यह वह तारीख है जिस दिन भारत ने पूरी सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान से आतंकी हिंसा का बदला लिया था. यानी 28 सितंबर के पीछे क्या है साजिश की रूपरेखा..
19/09 मणिपुर के Thoubal जिले में एसपी द्वारा सर्कुलर दिया जाता है कि 900 चिन-कूकी मिलिटेंट म्यांमार से मणिपुर में प्रवेश ले चुके हैं. 20/09 मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह प्रेस कांफ्रेंस करके इसकी पुष्टि करते हैं.
21/09 गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली असम राइफल इनमें से एक मिलिटेंट को पकड़ लेती है ,जिससे पता चलता है कि यह 900 आतंकवादी 30-30 की समूह में विभाजित होकर 28 सितंबर को मणिपुर के कुल 30 मेथी गांव में एक साथ हमला करने वाले हैं.
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भारत ने इस तारीख को पाक पर किया था सर्जिकल स्ट्राइक
गौरतलब है कि 28 सितंबर को ही भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ उरी सर्जिकल स्ट्राइक किया था. गृह मंत्रालय के खुफिया सूत्रों ने यह भी बताया है की इन आतंकवादियों को म्यांमार के चिन-कूकी की क्षेत्र से हथियार मिले हैं. जिसमें रॉकेट लांचर और ड्रोन भी शामिल है, हथियारों का निर्माण 3D प्रिंटिंग के जरिए भी किया गया है. जिसके पीछे CIA समर्थित Baptish चर्च की फंडिंग बताई जा रही है, इसके बारे में जानकारी सिया के दी क्लासिफाई डॉक्यूमेंट के जरिए भी कई बार सार्वजनिक हो चुकी है.
भारत विरोधी शक्तियों के निशाने पर अब मिजोरम भी
खास बात यह भी है कि भारत विरोधी शक्तियों के निशाने पर केवल मणिपुर नहीं बल्कि मिजोरम म्यांमार का चिन-कुकी क्षेत्र और बांग्लादेश का चिटगांव भी शामिल है जिसे वह संयुक्त रूप से Zogam पुकारते हैं इसी बात का जिक्र बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी किया था.
मणिपुर जिसका अर्थ है आभूषणों की भूमि और भारत के लिए यह किसी मणि से कमतर नहीं, जहां से पोलो का जन्म हुआ, जो खेलों में बॉक्सिंग का प्रियाय बना. जिसे पूर्वोत्तर का गेटवे कहा जाता है. आज वह जल रहा है, जिसमें परोक्ष तेल ही नहीं बल्कि सीधे-सीधे बारूद झुकने का काम भारत विरोधी शक्तियां कर रही है. सरकार और सशस्त्र बलों की कोशिश है की सीमा पार से किसी भी साजिश को नाकाम कर सके.. लेकिन इससे ज्यादा कोशिश मणिपुर के लोगों की होनी चाहिए कि वह कुकी, मेथी और नागा से बढ़कर पहले भारतीय हैं.
रिपोर्ट- राहुल डबास