Indian Army Recruitment: भारतीय सेना ने अपने कार्यक्षेत्र को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न डोमेन विशेषज्ञों को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इन विशेषज्ञों का समावेश वर्तमान में टेरिटोरियल आर्मी (TA) के माध्यम से किया जा रहा है. लेकिन भविष्य में यह प्रक्रिया न केवल TA बल्कि नियमित भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से भी की जाएगी. जिन एक्सपर्ट की भर्ती होगी उन्हें सेना के रैंक के हिसाब से पद और वेतन मिलेगा.
सेना को किस डोमेन में चाहिए विशेषज्ञ?
सेना की नई रणनीति के तहत, 16 तकनीकी क्षेत्रों में विशेषज्ञों को शामिल किया जा रहा है. भारतीय सेना रूस यूक्रेन और इजरायल वॉर का लगातार अध्ययन कर रही है तथा मॉडल वारफेयर के मुताबिक खुद को ढालने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रही है. इसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक वॉर फेयर, नॉन कॉन्टेक्टिंग वारफेयर, कम्युनिकेशन वारफेयर सहित हाइब्रिड वारफेयर के क्षेत्र में महारत हासिल करना है.
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DCOAS (IS &C) लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर के मुताबिक, भारत में मॉडर्न वारफेयर से जुड़े तकनीक और विशेषज्ञ मौजूद हैं लिहाजा सेना इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ कनेक्ट होना चाहती है, जिससे बदलते वॉर टेक्नोलॉजी को एडॉप्ट किया जा सके.
इन क्षेत्रों में होगी विशेषज्ञों की भर्ती
1. साइबर, 2. अंतरिक्ष, 3. क्वांटम टेक्नोलॉजी, 4. 5G/6G, 5. इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), 6. डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स, 7. एप्लिकेशन्स के लिए डिजिटाइजेशन, 8. ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR), 9. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML), डीप लर्निंग, 10. रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA) और ड्रोन, 11. एंटी-ड्रोन सिस्टम, 12. मानव रहित स्वायत्त सिस्टम, 13. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, 14. लोइटरिंग म्यूनिशन्स, 15. 3D प्रिंटिंग, 16. रोबोटिक्स
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क्या हैं सेना की भविष्य की योजनाएं
बता दें कि टेरिटोरियल आर्मी के माध्यम से विशेषज्ञों की भर्ती जारी रहेगी. सेना फिलहाल कुछ डोमेन में टेरीटोरियल आर्मी के तहत भर्ती कर रही है लेकिन जल्द ही, नियमित भर्ती प्रक्रिया के तहत भी विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा. इसके लिए जल्द ही विज्ञापन जारी किए जाएंगे, जिसमें पात्रता और पद संबंधी विस्तृत जानकारी दी जाएगी. यह कदम भारतीय सेना को तकनीकी और रणनीतिक रूप से और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम भूमिका निभाएगा.
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जानें क्यों है सेना को विशेषज्ञों की जरूरत?
दरअसल, भारतीय सेना की इस पहल का उद्देश्य तकनीकी प्रगति का लाभ उठाकर सेना की प्रभावशीलता बढ़ाना और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना है. यह कदम सेना और तकनीकी विशेषज्ञता के बीच समन्वय का प्रतीक है, जो देश की सुरक्षा को नए आयाम प्रदान करेगा.