देश में एक बार फिर समान नागरिक संहिता की चर्चा शुरू हो गई. इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शनिवार को कहा कि मुस्लिमों को समान नागरिक संहिता या फिर धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता स्वीकार्य नहीं है. देश का मुसलमान शरिया कानून से समझौता नहीं कर सकता.
AIMPLB ने एक विज्ञप्ति जारी की. विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड प्रधानमंत्री द्वारा धार्मिक व्यक्तिगत कानूनों को सांप्रदायिक कहना और धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के आह्वान को आपत्तिजनक मानता है.
अब जानें क्या बोले थे पीएम मोदी
बता दें, पीएम मोदी ने कहा था कि समाज का बड़ा वर्ग मानता है कि मौजूदा नागरिक संहिता एक तरह का सांप्रदायिक नागरिक संहिता है और यह बात सच भी है. इससे समाज में भेदभाव बढ़ता है. नागरिक संहिता देश को धार्मिक आधार पर अलग करता है. इससे असमानता बढ़ती है. बता दें, 15 अगस्त के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लागू करने की आवश्यकता है. पीएम मोदी के भाषण के बाद से देशभर में दोबारा यूसीसी की बहस छिड़ गई है.
पर्सनल मुस्लिम बोर्ड ने जताई आपत्ति
पर्सनल बोर्ड ने साफ किया कि वे शरिया कानून से अलग नहीं होने वाले हैं. बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यूआर इलियास ने प्रधानमंत्री ने धार्मिक व्यक्तिगत कानूनों को सांप्रदायिक बताया, यह आश्चर्यजनक है. भारतीय मुसलमानों को धर्म के अनुसार कानून का पालन करने की आजादी है. अनुच्छेद 25 नागरिकों को अपने धर्म को मानने, उसका प्रचार-प्रसार और उसके पालन का पूर्ण अधिकार है. मुस्लिमों के अलावा, अन्य धर्मों के पारिवारिक कानून उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार है. धार्मिक कानूनों को हटाना, पश्चिम की नकल करना है.
इलियास ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जानबूझकर समान नागरिक संहिता को धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता बोल रहे हैं. लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है. उनकी नजर सिर्फ शरिया कानून पर है.