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बंगाल की खाड़ी की सुरक्षा को लेकर ढाल बनी भारतीय नौसेना, इन चुनौतियों का कर रही सामना

यह गलियारा दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ता है. भारत को चीन के बढ़ते प्रभाव से बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Mohit Saxena
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बंगाल की खाड़ी की विस्तारित तटरेखा और रणनीतिक हालात पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहा है. यह गलियारा दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ता है. यह क्षेत्रीय व्यापार और सुरक्षा को लेकर अहम है. ऐसे में भारतीय नौसेना इस  क्षेत्र में शांति और समृद्धि का प्रमुख रक्षक है. क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति भारत का दृष्टिकोण हमेशा से एक्ट ईस्ट पॉलिसी रहा है. ये दक्षिण पूर्व एशियाई पड़ोसियों के साथ समुद्री सुरक्षा और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देता है. 

इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (आईपीओआई) के तहत महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग, मलक्का जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार का भारत समर्थन करता आया है. इसकी मदद के साथ बंगाल की खाड़ी की रणनीतिक भूमिका को पहचानते हुए, एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के साथ खड़ा होने का प्रयास करता है. 

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ऊर्जा मार्गों को सुरक्षित करना चाहता है भारत

भारत को चीन के बढ़ते प्रभाव से बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर जब बीजिंग खाड़ी के माध्यम से अपने ऊर्जा मार्गों को सुरक्षित करना चाहता है. भारत ने जवाब में मलक्का जलडमरूमध्य के पास अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपनी नौसैनिक और हवाई उपस्थिति को काफी मजबूत कर दिया है. यहां पर भारतीय नौसेना शक्ति संतुलन बनाए रखती है. 

इन खतरों पर नजर बनाए हुए भारत 

सैन्य चिंताओं से दूर भारत गैर-पारंपरिक सुरक्षा मुद्दों का सामना कर रहा है. इसमें अवैध मछली पकड़ना, मानव तस्करी और पर्यावरणीय गिरावट शामिल है. सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (आईएफसी-आईओआर) के जरिए नौसेना इन खतरों पर नजर बनाए हुए है. उसका काम बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे पड़ोसी देशों के साथ समझौते, वाणिज्यिक जहाजों की रियल टाइम ट्रैकिंग, अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए एक ऐसे फ्रेमवर्क को तैयार करना है जो यहां के जनजीवन को नुकसान न पहुंचाए और इससे लोगों को लाभ भी मिले. 

पर्यावरण नेता के रूप में उभरा 

भारत अपनी "नीली अर्थव्यवस्था" महत्वाकांक्षाओं के तहत पर्यावरण के प्रबंधन के साथ संसाधन को लेकर भी संतुलित रवैया अपना रहा है. खाड़ी के हाइड्रोकार्बन भंडार भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में भूमिका निभाते हैं. वहीं समुद्री प्रदूषण को कम करने और जैव विविधता की रक्षा करने की पहल सतत आर्थिक विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है. बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) के जरिए पर्यावरण नेता के रूप में भारत उभरा है.

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क्षेत्रीय रिश्तों को मजबूत करती हैं रणनीति 

बिम्सटेक और क्वाड जैसे क्षेत्रीय ढांचे को लेकर भारत की अगुवाई सामूहिक सुरक्षा के प्रति उसके समर्पण को दर्शाता है. संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ आयोजित मालाबार जैसे नौसैनिक अभ्यास क्षेत्रीय रिश्तों को मजबूत करती हैं. इसके साथ म्यांमार, बांग्लादेश और थाईलैंड संयुक्त गश्त भारत के रक्षा संबंधों को ताकत देती है. वह एक सहयोगी सुरक्षा माहौल को बढ़ावा देती है जो क्षेत्रीय खतरों को रोकता है और स्थिरता को बढ़ावा देता है.

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह बना केंद्र 

खाड़ी के प्रवेश बिंदु पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह मौजूद है. यह भारत की क्षेत्रीय रणनीति के केंद्र हैं. इन द्वीपों पर बुनियादी ढांचे को उन्नत करके भारत अपनी निगरानी बढ़ा रहा है. यह रणनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बफर प्रदान करता है. नागरिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जापान और इंडोनेशिया के साथ भारत की साझेदारी स्थिरता को बढ़ती है. भारत की आपदा प्रतिक्रिया क्षमताओं ने इसके क्षेत्रीय प्रभाव को मजबूत किया है. खासकर संकट के समय में 2004 की सुनामी के बाद, भारतीय नौसेना ने खाड़ी क्षेत्र में महत्वपूर्ण राहत प्रयासों की अगुवाई की. बिम्सटेक और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंदाई फ्रेमवर्क जैसे ढांचे के जरिए भारत मानवीय सहायता के माध्यम से अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को मजबूत कर रहा है. वह एक विश्वसनीय भागीदार बन गया है.

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