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भारत-अफ्रीका की समुद्री साझेदारी में अहम योगदान दे रही भारतीय नौसेना, जानें PM Modi के नाइजीरियाई दौरे के मायने

अफ्रीका के साथ भारत के रिश्ते तेजी से मजबूत हो रहे हैं. भारतीय नौसेना ने अफ्रीकन जल क्षेत्र में इन रिश्तों को तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाई है. 

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Mohit Saxena
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Indian Navy is making important contribution

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अफ्रीका के साथ भारत के संबंध मजबूत हो रहे हैं. दोनो के बीच समुद्री साझेदारी विकसित हुई है. चाहे वह मूल्यों को लेकर हो या कूटनीतिक सद्भावना हो या सुरक्षा चुनौतियों के समाधान से संबंधित हो. भारत की SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) नीति के तहत ये सहयोग उच्च-स्तरीय समझौतों के परिचालन रणनीतियों में बदल चुके हैं और इसमें भारतीय नौसेना का बड़ा हाथ है. उसने अफ्रीकन जल क्षेत्र में इन रिश्तों को तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाई है.

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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाइजीरिया के दौरे पर थे. पीएम ने भारत की अफ्रीकी पहुंच को बढ़ावा दिया है. मोदी ने रक्षा, व्यापार और ऊर्जा में रणनीतिक सहयोग पर जोर देकर अफ्रीकी देशों के साथ रिश्तों को गहरा करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया. क्षेत्रीय सहयोग पर यह एक नया सुरक्षित और समृद्ध समुद्री क्षेत्र के रूप में हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के भारत के दृष्टिकोण को मजबूत करता है.

दक्षिण अफ्रीका के लिए पनडुब्बी जीवन रेखा

समुद्री सुरक्षा को लेकर भारत-अफ्रीका नौसैनिक सहयोग मील का पत्थर है. सितंबर 2024 में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच पनडुब्बी बचाव सहायता समझौता हुआ. यह ऐतिहासिक समझौता भारतीय नौसेना को दक्षिण अफ्रीका की मदद के लिए गहरे जलमग्न बचाव वाहन (डीएसआरवी) को तैनात करने में सक्षम बनाता है. दक्षिण अफ्रीका के सीमित पनडुब्बी बचाव बुनियादी ढांचे को लेकर यह व्यवस्था एक महत्वपूर्ण सुरक्षा जाल प्रदान करती है.

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भारत का जलमग्न बचाव वाहन (डीएसआरवी) जो 650 मीटर तक की गहराई तक काम करने में सक्षम है और हवा, सड़क या समुद्र के द्वारा तैनात किया जा सकता है. ये अंतरराष्ट्रीय संचालन में एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है. इसमें इंडोनेशिया में 2021 के आरआई नंगगाला पनडुब्बी संकट में इसकी भागीदारी भी शामिल है. इसमें उन्नत क्षमताएं प्रदान करके भारत दक्षिण अफ्रीका की नौसैनिक तैयारियों को बढ़ाता है. क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को मजबूत करता है.

यह साझेदारी व्यावहारिक क्षमता निर्माण की भारत की व्यापक रणनीति को दर्शाती है, यह भावना प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी नाइजीरिया यात्रा के दौरान व्यक्त की थी. यहां पर उन्होंने पूरे अफ्रीका में विकासात्मक और सुरक्षा सहायता प्रदान करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की थी.

समुद्री प्रशिक्षण मुख्यालय का दौरा किया

तकनीकी क्षमताओं से परे भारत ने लक्षित प्रशिक्षण पहले के मुकाबले अफ्रीकी नौसैनिक बलों को मजबूत करने को प्राथमिकता दी है. नवंबर 2024 में दक्षिण अफ्रीकी नौसेना के एक प्रतिनिधिमंडल ने गहन ऑपरेशनल सी ट्रेनिंग (ओएसटी) कार्यक्रम के लिए कोच्चि में भारत के समुद्री प्रशिक्षण मुख्यालय का दौरा किया. भारतीय नौसेना की फ्लीट ऑपरेशनल सी ट्रेनिंग (FOST) टीम की ओर से संचालित कार्यक्रम में सिमुलेशन, क्षति नियंत्रण, अग्निशमन और बंदरगाह अभ्यास शामिल थे. इस तरह का व्यावहारिक प्रशिक्षण दक्षिण अफ्रीकी नौसैनिकों को वास्तविक दुनिया की समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए उन्नत प्रोटोकॉल से लैस करता है.

नाइजीरिया यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का जोर था कि भारत आईओआर में पसंदीदा प्रशिक्षण भागीदार बने. इस तरह से भारत क्षेत्रीय सुरक्षा खतरों से निपटने में अधिक आत्मनिर्भर बनेगा. वहीं अफ्रीकी देशों को अपने परिचालन मानकों को बढ़ाने में सक्षम बनाने में सहायता मिलेगी. 

बहुराष्ट्रीय सहयोग का प्रदर्शन

भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका को शामिल करके IBSAMAR  (India-Brazil-South Africa Maritime) आठवां त्रिपक्षीय नौसैनिक अभ्यास है. ये बहुराष्ट्रीय समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. अक्टूबर 2024 में आयोजित, IBSAMAR VIII में भारतीय नौसेना के स्टील्थ फ्रिगेट, INS तलवार को दक्षिण अफ्रीकी तट पर उन्नत अभ्यास में भाग लेते दिखाया गया.

इस अभ्यास ने ब्लू वाटर नेवल वारफेयर, समुद्री डोमेन जागरूकता और समन्वित प्रतिक्रिया रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करके तीनों नौसेनाओं के बीच अंतर संचालनीयता को मजबूत किया. इस तरह के सहयोग समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और तस्करी जैसी साझा चुनौतियों से निपटने के लिए अहम है. ये आईओआर की स्थिरता को खतरे में डालते हैं. पीएम मोदी मोदी की नाइजीरिया यात्रा ने ऐसे सहकारी ढांचे के महत्व पर प्रकाश डाला है जो अफ्रीकी देशों के बीच विश्वास और परिचालन तालमेल को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका को दोहराता है.

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