भारतीय नौसेना की ताकत में एक और अहम वृद्धि हुई है. नवीनतम बहुउद्देश्यीय स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट INS तुशील को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में रूस के कलिनिनग्राद में यंतर शिपयार्ड में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने इसे भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति और भारत-रूस के लंबे और मजबूत संबंधों का प्रतीक बताया.
राजनाथ सिंह ने इस मौके पर 'SAGAR' (Security and Growth for All in the Region) के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया. उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में सामूहिक सुरक्षा, समुद्री सहयोग और सतत विकास के लिए लगातार कार्यरत है. उन्होंने INS तुशील को 'आत्मनिर्भर भारत' और भारत-रूस के सहयोग की दिशा में एक बड़ा कदम बताया.
INS तुशील की विशेषताएं
INS तुशील को अत्याधुनिक युद्ध क्षमताओं से लैस किया गया है. यह प्रोजेक्ट 1135.6 के तहत विकसित क्रिवाक III क्लास फ्रिगेट है, जो वायु, सतह, पानी के नीचे और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक युद्ध की चारों श्रेणियों में काम करने में सक्षम है.
हथियार प्रणाली
इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, एंटी-एयर और एंटी-सबमरीन हथियार शामिल हैं. यह उन्नत गैस टरबाइन प्रणाली द्वारा संचालित है, जो 30 नॉट से अधिक गति प्राप्त करने में सक्षम है.
हेलीकॉप्टर क्षमता
यह जहाज कामोव-28 और कामोव-31 जैसे उन्नत हेलीकॉप्टरों को भी ले जाने में सक्षम है.
भारत-रूस का मजबूत सहयोग
रक्षा मंत्री ने INS तुशील के निर्माण में रूस की भागीदारी को भारत-रूस मित्रता का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि यह सहयोग दोनों देशों के तकनीकी कौशल और औद्योगिक सामर्थ्य को दर्शाता है. भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के.त्रिपाठी ने भी इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी लोगों की प्रशंसा की और इसे भारतीय और रूसी उद्योगों की सफलता का उदाहरण बताया.
हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा का वादा
राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए एक "नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर" के रूप में काम कर रही है. उन्होंने कहा,"हमने हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री व्यापार को सुरक्षित रखने और पायरेसी, हथियारों की तस्करी व आतंकवाद को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है."