जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगीं. उनका कहना है कि अभी के जो हालात हैं, उनमें मुख्यमंत्री बनने के बावजूद वे पार्टी के एजेंडे को वे लागू नहीं कर पाएंगी. इस बार वे अपनी बेटी इल्तिजा मुफ्ती को चुनावी मैदान में उतारेंगी. उन्होंने कहा कि मैं भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी. मैंने 2016 में 12,000 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस ली पर क्या हम अब ऐसा कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ सरकार में रहते हुए मैंने अलगाववादियों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया, क्या आज हम ऐसा कर सकते हैं. मैंने जमीन पर संघर्ष विराम लागू करवाया पर क्या हम आज ऐसा कर पाएंगे. अगर मुख्यमंत्री रहते हुए आप एक एफआईआर वापस नहीं ले पाएंगे तो आप ऐसे पद का क्या करेंगे.
अब्दुल्ला पर की टिप्पणी
नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख उमर अब्दुल्ला के बारे में उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला खुद कहते थे कि चपरासी के तबादले के लिए भी उन्हें उप राज्यपाल के गेट पर जाना पड़ेगा. मुझे चपरासी के तबादले की फिक्र नहीं है पर क्या हम अपना एजेंडा लागू कर पाएंगे.
हमने हमेशा अकेले लड़ा है
कांग्रेस और नेक्रां के गठबंधन पर उन्होंने कहा कि हमने हमेशा अकेले लड़ाई है. 1999 से जब से हमारी पार्टी का गठन हुआ है, तब से हम अकेले ही चुनाव लड़ रहे हैं. लोगों की मदद के लिए लोगों की मदद से हमने लड़ा है. हम एक वक्त कांग्रेस का हिस्सा थे. मैं सीएलपी नेता थी लेकिन हमने लोगों के कष्ट को खत्म करने के लिए एक पार्टी बनाई. उन्होंने कहा कि हमने अपने घोषणा पत्र में अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने के प्रयासों का वादा किया है. हमने कश्मीरी पंडितों की घाटी में सम्मानजनक वापसी को सुनिश्चित करने का भी वादा किया है. हमने भारत-पाकिस्तान के बीच दोबारा कूटनीतिक बातचीत शुरू करने का वादा किया है.
ऐसा था 2014 विधानसभा चुनाव का हाल
बता दें, प्रदेश में तीन चरणों विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे. 10 साल पहले 87 सीटों पर मतदान हुआ था. इसमें पीडीपी 28 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. वहीं भाजपा दूसरी बड़ी पार्टी रही, जिसे 25 सीटें मिलीं. नेक्रां ने 15 तो कांग्रेस को सबसे कम 12 सीटें मिली थीं. किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, जिस वजह से पीडीपी और भाजपा ने गठबंधन में सरकार बनाई.