मतगणना से पहले जम्मू-कश्मीर में मच गया बड़ा बवाल, कांग्रेस विरोध में उतरी, पढ़ें पूरा मामला

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव नतीजों से पहले कांग्रेस ने उपराज्यपाल द्वारा पांच विधायकों के मनोनयन पर आपत्ति जताई. कांग्रेस ने इसे लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर हमला बताया.

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Jalaj Kumar Mishra
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Jammu Kashmir Vidhansabha

Jammu Kashmir Vidhan Sabha (File)

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे आठ अक्टूबर को घोषित होने वाले हैं. ऐसे में कांग्रेस ने नई सरकार के गठन से पहले विधानसभा में पांच सदस्यों के मनोनीत होने पर कड़ी आपत्ति जताई. कांग्रेस ने इसे कथित रूप से लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संविधान पर हमला बताया. कांग्रेस ने उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से पांच सदस्यों के मनोनय को मंजूरी से बचने के लिए कहा है. 

संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला

जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रएस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रविंदर शर्मा ने बताया कि हम जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन से पहले उप राज्यपाल द्वारा पांच विधायकों के मनोनयन का विरोध करते हैं. ऐसा कदम लोकतंत्र, जनादेश और संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला है. कांग्रेस ने नई सरकार के आने के बाद ही नामांकन करने का आह्लान किया है. पार्टी का कहना है कि इसके अलावा, कोई और कदम उठाया गया तो यह प्रदेश के जनादेश के साथ विश्वासघात होगा.

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यह है नियम

बता दें, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत, लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास कश्मीरी पंडितों (केपी), पीओजेके के शरणार्थियों के प्रतिनिधित्व सहित पांच सदस्यों को नामित करने का अधिकार है. 

सरकार गठन से पहले नामांकन प्रावधान का इस्तेमाल करना दुरुपयोग

शर्मा ने कमस खाई है कि कांग्रेस इस फैसले का कड़ा विरोध करेगी. शर्मा ने कहा कि उपराज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह के आधार पर ही काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि चुनाव में बहुमत और अल्पसंख्यक की स्थिति को बदलने के लिए नामांकन प्रावधान का इस्तेमाल करना दुरुपयोग है. उन्होंने सरकार के गठन से पहले ऐसे नामांकन को असंवैधानिक बताया. 

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सरकार ने तोड़ा वादा

इसके अलावा, शर्मा ने आलोचना की कि पीओजेके शरणार्थियों, कश्मीरी पंडितों को विधानसभा में उचित प्रतिनिधित्व देने का वायदा किया था पर उन्होंने वादा पूरा किया. पीओजेके समुदाय के लिए केवल एक सीट का प्रस्ताव हैं बल्कि वादा आठ सीटों का वादा किया गया था. 

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